प्रिय पाठको एवं परीक्षार्थियों का Absuccessstudy में स्वागत है । आज हम जानेंगे कि वैश्विकरण क्या है, उनके उद्देश्य एवं विशेषताएं क्या है ? इसकी पूरी जानकारी दी जायेगी। जब हम इस आर्टिकल में परीक्षार्थियों के परीक्षा उपयोगी वैश्विकरण सम्बन्धित सभी जानकारी उपलब्ध करायेगे । जिससे आप अपनी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सके। विश्व स्तर पर प्राकृतिक एवं मानवीय घटनाओ की अंत क्रियाओं के के बारे में जाना जाता है ।
– :Table of content :-
1 -वैश्विकरण क्या है ?
2-वैश्विकरण के उद्देश्य
3- भूमंडलीकरण की विशेषताएं
4- भारत में वैश्विकरण
5- भारतीय समाज पर वैश्विकरण का प्रभाव
6- निष्कर्ष
1 -वैश्विकरण क्या है ?
अब हम वैश्विकरण क्या है ? के बारे में विस्तार से जानकारी दी जायेगी। जो विभिन्न परीक्षाओ के लिये बहुत महत्वपूर्ण है । विश्व के विभिन्न देशो के बीच आपसी सहमति से एकजुट होकर कार्य करने की प्रक्रिया को वैश्विकरण कहते है । सभी देशो के बीच आर्थिक ,सामाजिक, सांस्कृतिक , राजनीतिक प्रौद्योगिकीय एवं व्यापर का आदान – प्रदान है , जो राष्ट्र एवं देशो के बीच घटित होता है । इस प्रक्रिया में सभी देश अंतरास्ट्रीय स्तर कार्य करते है । जिसमे आर्थिक – सामाजिक निहितार्थ बहुआयामी है । वैश्विकरण के आर्थिक आयाम अधिक सुप्रकट एवं दूरगामी है । जिसका प्रभाव नाना प्रकार सेअंतरास्ट्रीय बाजार पर होता है ।
अति प्राचीन काल से विभिन्न देश आपस में परस्पर संबंध है । इसी प्रक्रिया को 20 वीं सदी के उत्तरार्ध्द में वैश्विकरण नाम दिया गया ।1970 से 1980 के दशकों में प्रकाश में आया है । आज हर वस्तु के उत्पादन एवं व्यापर वैश्विकरण बहुत तेज गति से बढ़ रहा है ।
व्यापारिक कंपनियों की दृष्टि से वैश्विकरण का अर्थ है , कि क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर कारोबार को बड़ा कर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाना है । जिससे कच्चा मॉल , श्रम और बाजार की प्राप्ति हो सके। विश्व के विकसित देशो में कच्चा मॉल एवं श्रम महंगे होते है । तब कच्चा मॉल एवं श्रम की उपलब्धता के लिये विभिन्न देश आपस में सम्बन्ध स्थापित करते है ।
2-वैश्विकरण के उद्देश्य :-
वैश्विकरण के उद्देश्य के विषय में विस्तार से बताउगा । जो निम्नलिखित है ।
1- विश्व में आर्थिक समानता
2- अंतरराष्ट्रीय स्तरआपसी सहयोग
3- विदेशी बाजार की स्थापना
4- विश्व एवं बंधुत्व का विकाश
5- विकसित राष्ट्र के लिये नवीन साझेदारी
1- विश्व में आर्थिक समानता – विश्व में आर्थिक असमानता देखने को मिलती है ।इसी समस्या को दूर वैश्विकरण से किया जा सकता है । जिससे अल्प विकसित एवं विकासशील देशो को विकसित किया जा सकता है ।
2- अंतरराष्ट्रीय स्तर आपसी सहयोग- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापर में आपसी सहयोग द्वारा संबंध बनाये जाते है । विश्व के विभिन्न देशो में व्यापर एवं सीमा समझौता से अच्छे सम्बन्ध स्थापित करना है ।जिससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग मिलता रहे ।
3- विदेशी बाजार की स्थापना- विश्व में भूमंडलीकरण द्वारा विदेशी बाजार की स्थापना करना है , जिससे कच्चे माल एवं वस्तुओ मुक्त व्यापर करना है। मुक्त व्यापर से विकसित एवं अर्धविकसित देशो में निर्यात – आयत को बढ़ावा देना है ।
4- विश्व एवं बंधुत्व का विकाश- विश्व एवं बंधुत्व का विकाश से मानव एवं समाज में समानता स्थापित होती है ।
5- विकसित राष्ट्र के लिये नवीन साझेदारी- विश्व में विकसित राष्ट्र निर्यात – आयत के लिये नया- नया साझेदारी करता है । जिससे उस देश को बाजार एवं श्रम आसानी से उपलब्ध हो सके ।
3- भूमंडलीकरण की विशेषताएं:-
भूमंडलीकरण की विशेषताएं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है , जिसका नीचे उल्लेख किया गया है । जो निम्नवत है ।
1- आधुनिकीकरण को बढ़ावा देना है ।
2- अंतर्राष्ट्रीय एवं बहुराष्ट्रीय क्षेत्र में सम्बन्ध स्थापित करना है ।
3- उत्पादन एवं श्रम का मुक्त रूप से आयत – निर्यात करना है ।
4- विदेशीय नागरिको एवं निवेशकों को अपने नागरिको के समान सम्मान देना ।
5- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुक्त बाजार विकसित करना है ।
6- विश्व स्तर पर सुचना , ज्ञापन एवं खबरों का आदान – प्रदान करना है ।
7- उत्पादन का आधुनिकीकरण करना ।
8- वस्तुओ का उत्पादन मांग एवं बाजार के अनुसार करना है ।
9- श्रम एवं लोग का एक देश से दूसरे देश में जाने की अनुमति देना ।
10- बिचारो एवं टेक्नोलॉजी का आदान – प्रदान करना है ।
11- अंतर्राष्ट्रीय व्यापर को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष , विश्व बैंक द्वारा नियंत्रित करना ।
12- विदेशीय प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति देना ।
13- मूलभूत सेवाओं में प्रत्यक्ष विदेशीय निवेश की अनुमति देना ।
14- सीमाहीन विश्व व्यापर की स्थापना करना ।
15- अंतर्राष्ट्रीय सीमा समझौता को बढ़ावा देना है ।
4- भारत में वैश्विकरण:-
इस आर्टिकल में भारत में वैश्विकरण की जानकारी दी गयी है ।
भारत में वैश्विकरण को 1990 के दशक में प्रोत्साहन मिला है । जिसमे निम्न नीतिया अपनाई गयी है ।
1-वैश्विकरण
2-उदारीकरण
3- निजीकरण की आर्थिक नीति
भारत में वैश्विकरण नीति अपनाई गयी । जिसमे निम्लिखित नीतियों को प्रोत्साहन दिया गया है ।
1- देश में आयत शुल्क घटाया तथा निर्यात से पाबन्दी हटाई गयी।
2- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में बहुत सी पाबंदियों पर छूट दी ।
3- विदेशी प्रौद्योगिकी एवं दक्षता को पाबंदियों से मुक्त किया ।
4- रसायनिक खाद एवं कृषि उत्पादनों से रियायत छूट को समाप्त किया ।
5- गरीबी उन्मूलन , शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में कटौती की गयी ।
6- शिक्षा एवं स्वास्थ्य का निजीकरण किया गया ।
7- निजी कम्पनियो को बैंक एवं बीमा क्षेत्र में भारत में कारोबार की अनुमति दी ।
8- सरकार के लाइसेंस तंत्र में उदारीकरण आरम्भ किया गया ।
5- भारतीय समाज पर वैश्विकरण का प्रभाव :-
अब हम भारतीय समाज पर वैश्विकरण का प्रभाव के बारे में जानकारी देंगे । जिससे भारत के लोगों, मजदूरों ,परिवारों तथा पूरे समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा है । वैश्विकरण के भारतीय समाज पर अनुकूल एवं प्रतिकूल प्रभावों का नीचे दिया गया है ।
1- वैश्विकरण का रोजगार के अवसरों , मजदूरों के परिवारों , आय , सुरक्षा , पहचान , रीती – रिवाजो और संस्कृति पर गहरा प्रभाव पड़ा है ।
2- सरकारी नौकरियों में कमी एवं निजी क्षेत्र रोजगार के अवसरों में वृदि हुई। जिसके कारण मनमाने ढंग से नियुक्ति एवं निकलने की प्रक्रिया में वृदि हुई । तथा निजी क्षेत्रो में मजदूरों का शोषण होता है ।
3- प्राइवेट सेक्टरों में शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाएं मंहगी है ।
4- निजी सेक्टर में प्रतिस्पर्ध्दा बढ़ने से बेरोजगारी बढ़ी , जिसके कारण मजदूरों की छटनी होती रही है ।
5- यंत्रीकरण , स्वचलीकरण एवं नई टेक्नोलॉजी में वृद्धि हुई । जिससे कुशल और अकुशल मजदूरों के रोजगार के अवसर कम हुआ है ।
6- कोमल उद्योगों में स्त्रियों को 40% रोजगार की अवसर बढ़े है ।
7- वैश्विकरण के फलस्वरूप दरिद्रता रेखा के नीचे रहने वाले लोगो की संख्या में वृद्धिहुई है ।
8- अधिक अनाज उत्पादन में दवाइयों एवं कीटनाशक के प्रयोग से प्रदूषण में वृद्धि हुई है ।
9- बड़े नगरों में रोजगार की तलाश में मजदूरों की संख्या बढ़ी है । जिसके कारण झुग्गी – झोपडी बस्तियों में वृद्धि हुई है ।
10- फैक्टरी की वृद्धि के कारण भू जल में भारी गिराट आती है । जिससे भू जल में लगातार गिरावट आ रही है ।
11- देश में अंग्रेजी माध्यम से स्कूल खोलने के कारण राष्ट्र भाषा को हानि पहुंच रही है ।
12- वैश्विकरण का जीवन शैली , तौर तरीको के अतिरिक्त कला ,साहित्य, चित्रकला ,नाच गाने तथा मूर्तिकला पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है ।
13- अन्य प्रभाव देखे जाते है
6- निष्कर्ष:-
आज इस Article में आपने जाना है कि वैश्विकरण क्या है, उनके उद्देश्य एवं विशेषताएं क्या है ?भारत में वैश्विकरण तथा भारतीय समाज पर वैश्विकरण का प्रभाव के बारे में जानकारी दी गयी है ।जो आपके विभिन्न परीक्षाओं के लिये महत्वपूर्ण होगी । जिसका आप अध्ययन करके सफलता प्राप्त कर सकेंगे । यदि यह Article आपको अच्छा लगा होगा तो इसे अपने दोस्तों में अवश्य शेयर करे । यदि कोई doubt हो तो comment box में अवश्य लिखे ।
धन्यवाद
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