दोस्तों एवं परीक्षार्थियों आप सभी का Absuccessstudy में स्वागत है । आज हम जानेगे कि मिट्टी क्या है ? भारत में मिट्टी के प्रकार तथा उनकी विशेषताएं के बारे में पूरी जानकारी दी जायेगी। इस Article में परीक्षार्थियों को परीक्षा उपयोगी मृदा सम्बन्धित सभी जानकारी उपलब्ध करायेगे । जिसका आप अध्ययन करके अपनी परिक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सकेंगे । भारत एक कृषि प्रधान देश है , जहाँ मृत्तिका का विशेष महत्व है । क्योकि कृषि एवं पशुपालन लोगो के जीवन का आधार है । मृत्तिका किसी भी देश कि सबसे महत्वपूर्ण सम्पत्ति कहलाती है ।
-:Table of contents :-
1-मिट्टी क्या है ?
2- भारत में मिट्टी के प्रकार
2.1-भारतीय कृषि अनुसंधान समिति द्वारा मृत्तिका के प्रकार
2,2- मृदा सर्वेक्षण विभाग के अनुसार मृदा के प्रकार
4- निष्कर्ष
1-मिट्टी क्या है ?
आज हम आप लोग को मिट्टी क्या है ? के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे । जो बहुत उपयोगी है। धरातल की सबसे ऊपरी पर्त, जो पौधों को उगने और बढ़ने के लिए जीवांश तथा खनिजांश प्रदान करती है उसे मृदा कहते है ।
अमेरिका मृदा वैज्ञानिक ‘ बैनेट – भू – पृष्ठ पर स्थित असंगठित पदार्थो की ऊपरी पर्त जो शैलों के चूर्ण तथा वनस्पति के योग से बनती है , मिट्टी कहलाती है ।
कोल के मत में – मिट्टी ही पृथ्वी की मृतक धूल को जीवन की सातत्यता से जोड़ है ।
मृदा के निर्माण में शैलो की संरचना , धरातल की बनावट , जलवायु की दशायें ततीथा जीवाश्म का हाथ होता है । तत्वों की भिन्नता के अनुसार मृत्तिका के प्रकार, गुण तथा उर्वरा शक्ति में भिन्नता पाई जाती है।
2- भारत में मिट्टी के प्रकार:-
अब हम भारत में मिट्टी के प्रकार के बारे में विस्तार से जानकारी दी जायेगी। जो निम्नलिखित है ।
1- जलोढ़ मृदा
2- काली मृदा
3- लाल मृदा
4- लैटलाइट मृदा
5- बलुई मृदा
6 -पर्वतीय मृदा
1- जलोढ़ मृदा- यह भारत की सबसे महत्वपूर्ण एवं बड़ा वर्ग है । जो धरातल के 24% भाग पर आच्छादित है । इसका निगर्मन नदियों द्वारा लाये गये पदार्थो से होता है । इसे कचहरी अथवा काँप माटी कहते है । नदियाँ प्रतिवर्ष बाढ़ से नवीन जलोढ़ मिट्टी एकत्र करती है ।
भू – गर्भित आधार जलोढ़ मिट्टी को दो भागो में विभाजित किया गया है ।
1- खादर
2- बांगर
1- खादर- नई जलोढ़ मृत्तिका को खादर कहते है , जो नदियों के बाढ़ द्वारा लाई जाती है । जिसमे चावल , गन्ना, गेहू एवं सब्जियाँ उगाई जाती है।
2- बांगर- यह पुरानी जलोढ़ मृदा है । जिसमे चावल , गन्ना, गेहू , जौ, तिलहन , दलहन एवं सब्जियाँ उगाई जाती है।
जलोढ़ मिट्टी का वितरण क्षेत्र- उत्तर का विशाल मैदान , कश्मीर घाटी , असम घाटी , गुजरात एवं तटीय भाग क्षेत्र आदि में पायी जाती है ।
विशेषताएं-
(1)यह माटी बहुत उपजाऊ है ।
(2) इसका रंग भूरा होता है ।
(3) इसमें क्षारीय अंश भी मिलते है ।
(4) जलोढ़ में चिका और बालू की समान मात्रा होती है । अतः दोमट कहते है ।
(5) इसमें नाइट्रोजन एवं ह्रूमस की कमी होती है ।
(6) जलोढ़ में पोटाश एवं चूना पर्याप्तता होती है ।
भारत में काली मिट्टी:-
भारत में काली मिट्टी के बारे में विस्तार से बताउगा। इस मृत्तिका का निर्माण ज्वालामुखी से हुआ है । इसमें कई प्रकार के खनिज विद्यमान होते है। इसका विकाश दक्कन के लावा क्षेत्र ,नीस और ग्रेनाइट चट्टानों के ऊपर अर्ध्द शुष्क जलवायु में हुआ है । इस मिट्टी को रेगुर , कपासी , काली , ऊष्ण कटिबंध एवं दक्क्न आदि नाम से जानते है ।
काली मिट्टी का वितरण क्षेत्र- इसका वितरण महाराष्ट , गुजरात , प0 मध्यवर्ती मध्य प्रदेश , कर्नाटक का उत्तरी भाग , आंध्रा का प0 भाग , तमिलनाडु , राजस्थान ,उत्तर प्रदेश आदि ।
काली मिट्टी में होने वाली उपज – मुख्य कपास , चावल , गन्ना, गेहू , तिलहन , ज्वार, तम्बाकू , काजू , मुगफली आदि
विशेषताएं-
(1) यह मिट्टी काळा रंग की होती है ।
(2) इसमें नमी धारण की करने शक्ति अधिक होती है ।
(3) यह माटी वर्षा ऋतू में चिपचिप हो जाती है ।
(4) इसमें फास्फोरस और नाइट्रोजन की मात्रा कम होती है ।
(5) इस मिट्टी में चूना, लोहा , मैग्नीशियम तथा एलुमीनियम अधिक होती है ।
(6) शुष्क खेती के लिए यह सर्वोत्तम मानी जाती है ।
भारत में लाल मिट्टी :-
भारत में लाल मिट्टी के बारे में विस्तार से बताउगा । इसका निर्माण पठारी भागो में रवेदार एवं रूपान्तरित शैलो से होता है । जिसमे लोहे की मात्रा अधिक होती है । इसलिए इस मृदा का रंग लाल होता है । जिसमे नाइट्रोजन जैव पदार्थ एवं फ़ास्फ़ोररिक एसिड की कमी होती है ।
लाल मृदा का वितरण क्षेत्र- यह छोटा नागपुर पठार , पूर्वी मध्य प्रदेश , आंध्र प्रदेश , तमिलनाडु कर्नाटक एवं पूर्वी महाराष्ट आदि ।
लाल मृदा में होने वाली उपज – चावल , मक्का, ज्वार, तिलहन एवं दलहन आदि।
विशेषताएं-
(1) यह शुष्क एवं कम उपजाऊ है ।
(2) यह मृत्तिका कठोर होती है ।
(3) वर्षा के दिनों में लोह के आक्साइड ऊपर आ जाते है ।
(4) इसका रंग लाल होता है ।
(5) यह लैटलाइट की ही भाती अम्लीय होती है ।
लैटलाइट मिट्टी:-
आज अब हम लैटलाइट मिट्टी के बारे में जानकारी दूगा । लैटलाइट शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है , जिसका शाब्दिक अर्थ इट है। यह मिट्टी मानसूनी जलवायु में पायी जाती है । इसका निर्माण ऊचे ताप वाले क्षेत्रो में होता है ।जो कंकण एवं पत्थरो से युक्त होती है ।
लैटलाइट माटी का वितरण क्षेत्र- तमिलनाडु , कर्नाटक पूर्वी घाट , उड़ीसा तथा महारास्ट्र के दक्षिण भाग में है ।
लैटलाइट माटी में होने वाली उपज – चावल ,ज्वार, बाजरा, तिलहन, चाय , कहवा एवं काजू आदि ।
विशेषताएं-
(1) यह माटी ईट की रंग की होती है ।
(2) यह कंकरीली एवं मोटे कण वाली होती है ।
(3) इसमें नाइट्रोजन ,चूना एवं फास्फोरस की मात्रा कम होती है ।
(4) इस मिट्टीke बगीचों में उत्तम प्रकार के काजू होते है ।
(5) यह अम्लीय होती है ।
(6) लोहे की मात्रा के कारण इसका रंग लाल होता है
बलुई मृदा:-
यह मृदा का निर्माण ऊंचे पहाड़ो से आने वाली नदियों की रेत से बनती है । इसमें रेत अधिक एवं हूमस की मात्रा कम होती है । यह तेज हवाओ के साथ उड़ती है ।
बलुई मृदा का वितरण क्षेत्र- द0 प 0 पंजाब, द0 प 0हरियाणा , राजस्थान एवं प0 उत्तर प्रदेश ।
बलुई मृदा में होने वाली उपज – गेहू कपास ज्वार बाजरा दाल तिलहन गन्ना चावल सब्जिया आदि।
विशेषताएं-
(1) यह उपजाऊ नहीं होती है ।
(2) इसमें नमी धारण करने की शक्ति नहीं है ।
(3) इस मृदा में जल गहराई तक प्रवेश करता है ।
(4) इसमें बालू के छोटे – छोटे कण पाए जाते है ।
पर्वतीय मृदा:-
हिमालय के पर्वतीय दालों पर अनेक मिट्टियाँ पायी जाती है । ये अभी निर्माण अवस्था में है।
पर्वतीय मृदा का वितरण क्षेत्र- हिमालय , विन्ध्याचल ,सतपुड़ा एवं नीलगिरि के पर्वतीय क्षेत्र में है ।
पर्वतीय मृदा में होने वाली उपज – रेशेदार फलो एवं मेवा आदि ।
विशेषताएं-
(1) ये कम उपजाऊ होती है ।
(2) इनका रंग लाल एवं भूरे होते है ।
(3) ऊचाई के अनुसार मिट्टिओ बदलती रहती है ।
भारतीय कृषि अनुसंधान समिति द्वारा मृत्तिका के प्रकार :-
भारत में पायी जाने वाली मिट्टी को भारतीय कृषि अनुसंधान समिति(ICAR) ने आठ भाग में बांटा है । जो निम्लिखित है ।
(1) जलोढ़ मृदा
(2) काली मृदा
(3) लाल मृदा
(4) लैटलाइट मृदा
(5) पर्वतीय मृदा
(6) मरुस्थलीय मृदा
(7) नमकीन मृदा
(8) पीट और अन्य जैविकमृदा
मृदा सर्वेक्षण विभाग के अनुसार मृदा के प्रकार:-
भारत के मृदा सर्वेक्षण विभाग ने भारत की मिट्टी को निम्न प्रकार से विभाजित किया है ।
क्रम सः मृदा के प्रकार ——- क्षेत्रफल ( मिलियन हेक्टेयर में ) —– प्रतिशत
1- जलोढ़ मृदा 143.1 43.36
2- लाल मृदा 61.0 18.49
3- काली मृदा 49.8 15.09
4- पर्वतीय मरुस्थल मृदा 18.2 5.51
5- लाल एवं काली मृदा 17.8 5.40
6- रेतीली मृदा 14,6 4.42
7- लेटेराइट मृदा 12.2 3.70
8- अन्य मृदा 13.3 4.03
निष्कर्ष:-
आज इस आर्टिकल में आपने जाना है कि मिट्टी क्या है , भारत में मिट्टी के प्रकार कितने है ? भारतीय कृषि अनुसंधान समिति(ICAR) एवं भारत के मृदा सर्वेक्षण विभाग ने भारत की मिट्टी को विभिन्न भागो में बाटे है । जिसकी पूरी जानकारी मिल गयी होगी । जो आप सभी को विभिन्न परीक्षाओं के लिये महत्वपूर्ण होगी । जिसका आप सभी लोग अध्ययन करके सफलता प्राप्त कर सकेंगे । यदि यह आर्टिकल आप को अच्छा लगा होगा तो ऐसे अपने दोस्तों में अवश्य शेयर करे । यदि कोई doubt हो तो comment box में अवश्य लिखे ।
धन्यवाद
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