भूकम्प /Earthquakes क्या है?
आइए हम भूकम्प क्या है,कारण एवं प्रकार काअध्ययन करे। भूकम्प एक आकस्मिक अन्तर्जात प्रक्रिया
है। जिसके कारण भूपटल की कम्पन अथवा लहर है । जिसका कम्पन तरंगो में होता है । जो अपने
उदगार केंद्र से उत्पन होकर चारो ओर फैलती है । तब धरातल में कम्पन होने लगता है उसे भूकम्प
कहते है ।
विज्ञान कि वह शाखा जिसमें भूकम्प लहरों का अध्ययन किया जाता है , उसे भूकम्प विज्ञान कहते है ।
जिसे सिस्मोग्राफ यंत्र द्वारा अंकन किया जाता है । भूकम्प कि तीब्रता को जिस रिक्टर मापक पर प्रकट
किया जाता है । जिस जगह से कम्पन प्रारम्भ होता है उसे भूकम्प मूल कहते है । जहा लहरों का अनुभव
सबसे पहले हगोटा है उसे भूकम्प केंद्र कहते है। उस समय जो ऊर्जा उत्तपन्न होती है उसे प्रत्यास्था
ऊर्जा कहते है ।
आगे हम भूकम्पीय लहरों की तीन श्रेणियों,कारण,प्रकार,विश्व वितरण, प्रभाव,निष्कर्ष का अध्ययन करेंगे ।
भूकम्पीय लहरों की तीन श्रेणियों:-
1- प्राथमिक या संपीड़नात्मक या पी तरंगे(primary or compressional or p waves
):- ये तरंगे ठोस , द्रव , गैस पदार्थो से होकर यात्रा कर सकती है । ये तरंगे ध्वनि की तरंगो के समान
होती है । इनका वेग सबसे अधिक (8-14 किमी / सैकेंड ) होता है । इनकी तरंगे सिस्मोग्राफ
स्टेशन पर सबसे पहले पहुँचती है । इसे प्राथमिक तरंग कहते है ।
2-द्वितीयक तरंगे या अनुप्रस्थ तरंगे (Secondary Waves):-
ये तरंगें जल एवं प्रकाश तरंगो के समान होती है । इन्हेआडी इसलिए कहते है कि इनकी गति समकोण
पर होती है । इनका वेग (4-6 किमी / सेकंड ) होता है । इन्हे S-waves कहते है। यह तरंगे तरल
पदार्थ में प्रवेश नहीं करती है ।
3- दीर्घ तरंगे या धरातलीय तरंगे (Long or Surface waves ):-
भूडोल के समय ये तरंगे अधिकेंद्र पर सबसे बाद पहुँचती है , क्योंकि इनका वेग सबसे कम (3 किमी /
सेकंड) होता है , धरती पर पूरा भ्रमण करती है इसलिए इनको लम्बी अवधि की लहरे कहते है । इनकी
गति जल एवं थल दोनों पर होती है । ये सर्वाधिक विनाशकारी होती है ।
बैज्ञानिक खोजो के आधार पर भूमिकम्पन की कुछ और लहरे है ।
1- P-S
2-Pg तथा Sg
3- P* s*
भूकम्प के कारण:-
भूडोल के प्राकृतिक एवं मानवीय दोनों करणो से हो सकता है । जो निम्नलिखित है ।
(1) भू – पटल भ्रंश :- भूगर्भित लहचलो के कारण चट्टानों में तनाव तथासंपीड़न उत्पन्न होता है । जिनकी वजह से भू – पटल में भ्रंश तथा वलय बनते है । जिसके कारण पृथ्वी पर भूडोल आता है ।
(2) ज्वालामुखी क्रिया :- जब भूगर्भ से गैस,तरल ,ठोस पदार्थ धरातल पर आने का प्रयास करते है । तो पृथ्वी की चट्टानें टूटने लगती है जिसके कारण भूमिकम्पन होते है ।
(3) भू- संतुलन के कारण :- पर्वत , पहाड़ , मैदान , सागर तली आदि संतुलन अवस्था में रहती है । अनाच्छादन के कारण पर्वतीय भागो की चट्टानें कट- छट कर सागर में गिरने लगते है। जिसके कारण असंतुलन उत्पन्न होने लगता है । तब धरातल पर भूडोल आता है ।
(4)पृथ्वी की आंतरिक गैसे:- जब पृथ्वी के आंतरिक भाग में जल प्रवेश क्र जाता है , तब भीतर की गर्मी के कारण भाप के रूप में ऊपर निकलने लगता है । तब धरातल पर भूडोल आता है ।
(5)मानवीय कारण:- जब मानव अपने लाभ हेतु अनेक प्रकार के जलाशय , बांध ,बनता हैऔर पृथ्वी के अंदर खनिज पदार्थ को निकलता रहता है ।तब जलजला आता है ।
(6) अणुबमो का परीक्षण एवं विस्फोट आदि:- मानव अपने हीत के लिए अनेक अणुबमो का परीक्षण करता रहता है । जिसके कारण पृथ्वी का धरातल का संतुलन बिगङ जाता है।तोभूडोल आता है ।
भूकम्प के प्रकार:-
भूचाल के स्वाभव तथा करणो के आधार पर इन्हे दो भागो में रखा गया है ।
A- प्राकृतिक भूकम्प :-
1- विवर्तनिक भूकम्प :- जो आंतरिक भाग में होने वाली विवर्तनिक क्रियाओ से उत्पन्न होते है । उन्हें विवर्तनिक भूकम्प कहते है । इस प्रकार के उद्गम की गहराई 5 से 24 किमी तक होती है । असम में 15 अगस्त 1950 को इस प्रकार का भूकम्प आया था ।
2- ज्वालामुखी भूकम्प:- ज्वालामुखी उद्भेदन के फलस्वरूप जो भूकम्प उत्पन्न होते है । उसे ज्वालामुखी भूकम्प कहते है ।1883 में क्राकाटोआme 12800 किमी तक अनुभव किया गया था ।
3- पातालीय भूकम्प:- इस प्रकार के भूकम्प की गहराई 50 किमी से 700 किमी तक होती है ।
- साधारण भूमिकम्प -50 किमी तक ।
- मध्यम भूमिकम्प-50 से 250 किमी तक ।
- गहरे भूमिकम्प250 से 700 किमी तक ।
4- संतुलन मुल्क भूकम्प :- किसी प्रकार पृथ्वी के धरातल पर संतुलन बिगङ जाता है जिससे
भूकम्प आता है ।
B- कृत्रिम भूकम्प :- मानवीय क्रियाओ द्वारा जो पृथ्वी के धरातल पर भार, असंतुलन आता है उससे
जो लहरे आती है उसे कृतिम भूकम्प कहते है।जैसे -अणुबमो का बिस्फोट , चट्टानों की खुदाई आदि ।
भूकम्पों का विश्व वितरण:-
विश्व में भूचाल की निम्न पेटियों का निर्धारण किया गया है ।
(1) प्रशांत महासागरीय तटीय पेटी :- विश्व का यह सबसे विस्तृत भूकम्प क्षेत्र है । इस क्षेत्र में
63% भूचाल आते है
1- सागर तथा स्थल का मिलन बिंदु ।
2- नवीन वलित पर्वतो का क्षेत्र ।
3- ज्वालामुखी क्षेत्र ।
4- विनाशी प्लेट सीमाओं का अपसरण
इसमें प्रशांत महासागर के चारो ओर की सीमाओं में चिली , कैलिफोनिया ,अलास्का , जापान , फिलीपींस
एवं न्यूलीलैंड आदि
मध्य महाद्वीपीय पेटी :- यह पेटी जिब्रालटर जलडमरू मध्य से शुरू होकर भूमध्यसागर , आल्प्स ,
टर्की , ईरान , हिमालय के दक्षिण भागो के साथ होते हुए , प्रशांत महासागर तक फैले है हिन्द महासागर
भी ऐसी पेटी में है । भारत काभूकम्पी क्षेत्र ऐसी पेटी में है । इसमें 21% भूचाल आते है ।
मध्य अटलांटिक पेटी :- यह भूकम्पीय पेटी मध्य अटलांटिक कटक के सहारे स्थित है यहां भूचाल
भ्रंश निर्माण एवं ज्वालामुखी उदगार के कारण आता है । यह उत्तर में स्पिट बर्जेन तथा आइस्लैंड से
प्रारम्भ होकर दक्षिण में बोबेट द्वीप तक है । इस पेटी के सर्वाधिक भूमिकम्प भूमध्य रेखा के पास आते है ।
सुनामिस ( Tsunamis):- अन्तः सागरीय भूकम्पों द्वारा उत्पन्न लहरों को सुनामिक कहते है।
भूकम्प का प्रभाव:-
भूकम्प का मानव पर लाभ एवं हानि दो प्रभाव पड़ता है ।
हानिकारक प्रभाव:- भूकम्प आने के कारण गांव ,नगर एवं कस्बे के विनाश हो जाता है । तथा सड़को ,रेलमार्गो एवं संचार साधनो का विनाश हो जाता है, आग,बाढ़,भूस्खलन सागर की लहरों से सुनामिस अपार धन – जन की हानि होती है ।
लाभकारी प्रभाव :- भूकम्प से कुछ लाभ भी होते है
1-समुद्र तटों के नीचे धंसने से खडियो का निर्माण
2- नवीन द्वीपों का निर्माण
3- जल स्रोतों का निर्माण ।
4- झीलों का निर्माण ।
5- खनिजों की प्राप्ति ।
निष्कर्ष:-
भूकम्प क्या है,कारण एवं प्रकार काअध्ययन किया गया । जिससे ज्ञात हुआ कि भूकम्प से अनेक लाभ
के साथ बहुत हानि होती है । जिसका मानव एवं ब्रहांड पर विनाशकारी परिणाम देखने को मिलता है ।
Permalink: https://absuccessstudy.com/भूकम्प/
https://en.wikipedia.org/wiki/Earthquake
0 Comments