नमस्कार दोस्तों आप सभी का Absuccessstudy में स्वागत है । अगर आप एक परीक्षार्थी है, तो आप जानते  ही होंगे, कि पर्यावरण क्या है ?  पर्यावरण की संरचना तथा उनके प्रकार के बारे में परीक्षा में प्रश्न अवश्य पूछे जाते है। यदि  आपको सही एवं प्रमाणित जानकारी  न  मिलने से प्रश्न छूट जाते है । यदि  हाँ तो मैं इस Article में पर्यावरण सम्बन्धित पूरी जानकारी दूगा  । जिसमे पर्यावरण अध्ययन , मानव – पर्यावरण सम्बन्ध, पर्यावरण पर मानव का प्रभाव एवंमानव व पर्यावरण सम्बन्धी अवधारणा आदि की जानकारी दी गयी है । यह आर्टिकल आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है ।  तो इस अन्त तक अवश्य पढ़े । 

                 

 -:Table  of   contents :-  

1- पर्यावरण क्या है ?

2- पर्यावरण की संरचना तथा उनके प्रकार

3- मानव – पर्यावरण सम्बन्ध

4- पर्यावरण पर मानव का प्रभाव

5-पर्यावरण पर मानव का अप्रत्यक्ष प्रभाव

6- मानव व पर्यावरण सम्बन्धी अवधारणा

7-निष्कर्ष

1- पर्यावरण क्या है ?

पर्यावरण क्या है

 

 

तो  चलिए सबसे पहले Start  करते है ,कि  पर्यावरण क्या है ?  परि  + आवरण  शब्दों को मिलाकर  पर्यावरण बनता है । जिसका  शाब्दिक अर्थ  है चारो ओर से ढँके हुए है । जिसमे समस्त जीवधारियों को अजैविक या भौतिक पदार्थ घेरे हुए है । अर्थात हम जीवधारियों तथा वनस्पतियों के चारों ओर आवरण है उसे पर्यावरण कहते है। अंग्रेजी में पर्यावरण को Environment कहा जाता है ।पर्यावरण उन सभी बहरी शक्तियों व प्रभावों का वर्णन करता है जो प्राणी जगत के जीवन स्वभाव व्यवहार विकास एवं परिपक्वता को प्रभावित करता है – रोमन हांलेण्ड एवं डगलस ने कहा

पर्यावरण एक अविभाज्य समष्टि है तथा भौतिक , जैविक एवं सांस्कृतिक तत्वों वाले पारस्परिक क्रियाशील तंत्रो से इसकी रचना होती है । ये तंत्र अलग – अलग तथा सामूहिक रूप से विभिन्न रूपों में परस्पर संबंध्द  होते है । जो निम्नलिखित है /

भौतिक तत्व- 

1- स्थान

2- स्थलरूप

3- जलीय भाग

4- जलवायु

5- मृदा

6- शैल

7- खनिज

जैविक तत्व- 

1- पौधे

2- जन्तु

3- सूक्ष्म – जीव

4- मानव

सांस्कृतिक  तत्व-

1- आर्थिक

2- सामजिक

3- राजनीतिक

2- पर्यावरण की संरचना तथा उनके प्रकार

जस्ट अभी आपने जाना है कि  पर्यावरण क्या है ? आगे हम आपको पर्यावरण की संरचना तथा उनके प्रकार  के बारे में पूरी  जानकारी दूगा । एनवायर्नमेंटल भौतिक एवं जैविक संकल्पना है ।  एनवायर्नमेंटल की आधारभूत संरचना  के आधार पर दो प्रमुख प्रकार का होते है ।

(A) भौतिक पर्यावरण

(B) जैविक पर्यावरण

(A) भौतिक पर्यावरण-  यह पर्यावरण तीन प्रकार की होते है । जो निम्नलिखित है ।

1- स्थलमण्डलीय पर्यावरण

2- वायुमण्डलीय पर्यावरण

3- जलमण्डलीय पर्यावरण

विभिन्न स्थानीय  मापकों पर इन तीनो पर्यावरण के कई लघु इकाइयो में विभाजित किया गया है । जैसे- मैदान पर्यावरण, पर्वत पर्यावरण, पठार पर्यावरण, झील पर्यावरण, सरिता पर्यावरण, सागर पर्यावरण, मरुस्थल पर्यावरण, हिमनद पर्यावरण आदि ।

(B) जैविक पर्यावरण-    इस पर्यावरण में मनुष्य महत्वपूर्ण कारक है । जैविक पर्यावरण दो प्रकार में विभक्त किया गया है ।

1- वानस्पतिक पर्यावरण

2- जन्तु पर्यावरण

एनवायर्नमेंटल के  संगठन  (components):-  पर्यावरण के संघटको को तीन प्रमुख प्रकारों में विभक्त किया गया है ।

1-  अजैविक संघटन- स्थल , वायु , जल  एवं उपसंघटन

2- जैविक संघटन –  पादप, जन्तु ( मनुष्य) तथा सूक्ष्म जीव

3- ऊर्जा संघटन- सौर्यिक  ऊर्जा एवं भूतापीय ऊर्जा

3- मानव – पर्यावरण सम्बन्ध:-

ऊपर अभी पर्यावरण क्या है ? के बारे जानकारी दी गयी है।  अब हम मानव और पर्यावरण सम्बन्ध के विषय में जनकारी देंगे पर्यावरण और मानव के जीवन से दो तरफा भूमिका होती है । मनुष्य एक तरफ तो भौतिक पर्यावरण के जैविक संघटन का एक महत्वपूर्ण घटक एवं भाग है तथा दूसरी तरफ मनुष्य पर्यावरण का महत्वपूर्ण कर्क भी है । वह घटक  के रूप  सामाजिक मनुष्य , आर्थिक मनुष्य एवं प्रौद्योगिक मनुष्य के रूप में है ।   मनुष्य के सभी प्राकृतिक  गुण , प्राकृतिक पर्यावरण द्वारा प्रभावित एवं नियन्तित होते  है । जैसे पर्यवरण के अन्य जीवों के प्राकृतिक  गुण  प्रभावित एवं नियन्तित होते है । मनुष्य सबसे बुध्दिमान प्राणी है जो पर्यावरण   अनुकूल एवं प्रतिकूल  बनाने में समर्थ है । प्रारम्भ में आदिमानव की भौतिक पर्यावरण की  कार्यात्मकता  में भूमिका दो तरह की होती थी *- पाता तथा दाता ।

मनुष्य भौतिक पर्यावरण से अन्य जीवों को फल -फूल एवं पशु मांस  प्राप्त करता था  तथा पर्यावरण संसाधन में अपना योगदान करता था  मानव संस्कृत के विकास के प्रथम चरण में मनुष्य भौतिक पर्यावरण का अन्य कारको के सामान एक कर्क मात्र था । परन्तु समाज एवं संस्कृत के विकास के साथ उनकी भूमिका में परिवर्तन हो गया । यथा – पर्यावरण कारक -> पर्यावरण का परिवर्तनकार्त्ता -> पर्यावरण विध्वंशकर्त्ता । मनुष्य  प्रारम्भ में प्रकृति का अंग था किन्तु वही आगे  चलकर स्वामी बन बैठ ।

प्रगैतिहासित काल  से वर्तमान समय तक मानव – पर्यावरण के मध्य बदलते सम्बन्धो को निम्न चार  चरणों में  विभक्त किया गया है ।

काल                               —                                मानव स्वरूप    —–              मानव पर्यावरण सम्बन्ध        

(1) आखेट एवं भोजन संग्रह काल            —               जीवीय या भौतिक मनुष्य   —     कारक( Facter)

(2) पशुपालन एवं पशुचारण संग्रह काल   —             सामाजिक मनुष्य           ——- रूपान्तरकार्त्ता (  Modifier )

(3) पौधपालन   एवं कृषिकाल                   —-          आर्थिक मनुष्य                ——- परिवर्तनकार्त्ता  (Changer )

(4)  विज्ञान  प्रौद्योगतिकी  एवं औद्योगीकरण —–      प्रौद्योगिक मानव         ———-  विध्वंशकर्त्ता   (Destroyer)

4- पर्यावरण पर मानव का प्रभाव:-

पर्यावरण पर मानव का प्रभाव के बारे में जानकारी दी  गयी है ।  पर्यावरण पर मनुष्य के प्रभाव को मुख्य दो वर्गों में बटा गया  है ।

(A)  प्रत्यक्ष प्रभाव (Direct impacts ) 

(B)  अप्रत्यक्ष प्रभाव  ( Indirect impacts)

(A)  प्रत्यक्ष प्रभाव (Direct impacts )  – जब कोई देश अपनी आर्थिक विकास के लिये कोई  कार्यक्रम चलाते है।  तो    भौतिक पर्यावरण  पर जो प्रभाव पड़ता है । वह उनके परिणामो के अनुकूल तथा प्रतिकूल होता है । आर्थिक विकास के  लिये भौतिक पर्यावरण में निम्न परिवर्तन प्रमुख है । 

1- भूमि उपयोग में परिवर्तन 

2- मौसम रूपान्तर कार्यक्रम 

3-  निर्माण और उत्खनन कार्य

4- नाभिकीय कार्क्रम         

1- भूमि उपयोग में परिवर्तन – कृषि  विस्तार एवं फसलों के अधिक उत्पादन के लिये वनों की कटाई, जलाना  का कार्य किया जाता है । नवीन कृषि तकनीकी , अधिक  उपज  वाले बीज , समुचित सिचाई व्यवस्था आदि । 

2- मौसम रूपान्तर कार्यक्रम-    वर्षण को प्रेरित करने के लिये मेघ बिजन , उपल वृष्टि को रोकना आदि ।   

3-  निर्माण और उत्खनन कार्य- आर्थिक विकास हेतु नदियों पर बाँधो, जल भण्डारो , पुलों  ,सड़कों जल धाराओं की दिशा मोड़ना आदि । 

4- नाभिकीय कार्क्रम-  आर्थिक विकास के साथ देश अपनी सुरक्षा के  लिये अनेक परमाणु परीक्षण करता है जिसका प्रभाव सीधे पर्यावरण पर पड़ता है ।   

(B)  अप्रत्यक्ष प्रभाव  ( Indirect impacts)- आर्थिक क्रिया – कलापो से जनित पर्यावरण पर पड़ने वाले मनुष्य का अप्रत्यक्ष प्रभाव है । जो शीघ परिलक्षित नहीं होता है । क्योकि आर्थिक विकास की धीमी गति से होता है । कुछ संघटको में सामान्य स्तर के मंद गति वाले परिवर्तन होते है । तथा ये परिवर्तन पारिस्थितिक तंत्र की संवेदनशीलता को पर करने में अधिक समय लेते है ।  जब पारिस्थितिक तंत्र की इन परिवर्तनों आत्मसात करने की क्षमता अधिक होती है ।

5-पर्यावरण पर मानव का अप्रत्यक्ष प्रभाव:-

पर्यावरण पर मानव का अप्रत्यक्ष प्रभाव  धीमी गति से पड़ते है । जो आर्थिक विकास की रफ्तार को तेज करने के लिये औद्योगिक विकास के विस्तरण द्वारा उत्तपन्न होता है । जब यह प्रभाव लोगो में परिलक्षित होता है ,तो  इसे पहचानना एवं मूल्यांकन करना कठीन हो जाता है । मनुष्य के द्वारा प्राकृतिक पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों में से अधिकांश पर्यावरण अवनयन तथा प्रदूषण से सम्बंधित होते है ।  अप्रत्यक्ष प्रभावों के कुछ उदारहण निम्न है ।

1-  कीटनाशक , रासायनिक दवाओं , रासायनिक उर्बरक आदि के प्रयोग

2- औद्योगिक संस्थानों से निकले अपशिष्ट पदार्थो

3- नगरीकरण में वृद्धि और  औद्योगिक विस्तार

4- औद्योगिक क्रान्ति के  कारण

1-  कीटनाशक , रासायनिक दवाओं , रासायनिक उर्बरक आदि के प्रयोग –    उक्त के प्रयोग के माध्यम से जहरीले तत्वों के पारिस्थितिक तंत्र में विमोचन द्वारा आहार  शृंखला तथा आहार नाल में  परिवर्तन हो  जाता है । जिसमे D D   T अधिक जहरीला तत्व है 

2- औद्योगिक संस्थानों से निकले अपशिष्ट पदार्थो –औद्योगिक संस्थानों से निकले अपशिष्ट पदार्थो के जल झील , तालाब जलभंडारण  आदि  नदियों एवं सागर में मिलकर जल को प्रदूषित कर देते  है । जिससे अनेक रोग उत्तपन्न हो जाते है । जिसके कारण जलीय अनेक जीवधारियों की मृत्यु हो जाती है ।

3- नगरीकरण में वृद्धि और  औद्योगिक विस्तार – इनसे निकलने वाले कचरे एवं गंदे जल  के माध्यम से झील, नदी ,तालाब आदि को प्रदूषित कर देते है । जिसमे क्लोरीन सल्फेट बाइकार्बोनेट नाइट्रेट सोडियम मैग्नीशियम फास्फेट आदि  तत्व पाए जाते है ।

4- औद्योगिक क्रान्ति – क्रान्ति के पहले वायुमण्डल में CO2  की मौलिक मात्रा 0.029% या 290PPM(Part per  million  ) थी । परन्तु वर्तमान समय में CO2 की  मात्र 0.0379% या  0.0379ppm    तक हो गयी है । जो  पहले से 25%      वृध्दि हुई।

6- मानव व पर्यावरण सम्बन्धी अवधारणा :-

1- नियतिवादी अवधारणा –  हबोल्ट व रिटर

2- संभववादी अवधारणा – विडाल -डी- ला- ब्लॉश ब्रुंज   व डिमान्जिया 

3- नव नियतिवादी  अवधारणा – ग्रिफिथ टेलर एवं ओ ah  

7-निष्कर्ष

आज इस Article  में आपने जाना है कि पर्यावरण क्या है ? पर्यावरण की संरचना तथा उनके प्रकार, मानव – पर्यावरण सम्बन्ध एवं  पर्यावरण पर मानव का प्रभाव  आदि के  बारे में जानकारी दी गयी है ।जो आपके  विभिन्न परीक्षाओं के लिये उपयोगी है। जिसका आप  अध्ययन करके सफलता प्राप्त कर सकते है । यदि यह  Article आपको अच्छा लगा होगा तो इसे अपने दोस्तों में अवश्य शेयर करे । यदि  कोई  doubt  हो तो comment  box  में अवश्य लिखे ।

 

धन्यवाद

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