नमस्कार दोस्तों  आप सभी का Absuccessstudy  में स्वागत है । ठोस अपशिष्ट प्रदूषण क्या है ? उनके स्रोत के बारे में विस्तार जानकारी दूगा । विश्व  की बढ़ती जनसंख्या तथा समृध्द भौतिकवादी समाज के कारण ठोस अपशिष्ट प्रदूषण  में निरन्तर वृध्दि हो  रही है । जिनके फलस्वरूप  उत्पन्न  प्रदूषण की समस्या निरन्तर जटिल  होती जा रही है । ठोस अपशिष्ट  प्रदूषण के द्वारा अनेक जीव-जन्तुओ  एवं वनस्पतियों पर  शंकट  उत्पन्न हो गया है । जिसके प्रबन्धन के लिये प्रत्येक जनमानस , सरकारी  एवं गैर सरकारी संस्थाओ को कार्य करना पड़ेगा ।   संयुक्त रास्ट संध  एवं विश्व के प्रमुख संस्थाओ को आगे आ कर इस समस्या पर विशेष प्रबन्धन की आवश्यकता है ।ठोस अपशिष्ट प्रदूषण क्या है

 

 

-विषय सूचि –

1-ठोस अपशिष्ट प्रदूषण

2- ठोस अपशिष्ट प्रदूषण के स्रोत

3- भारत में ठोस अपशिष्ट प्रदूषण

4-  अपशिष्ट प्रदूषण से उत्पन्न समस्याएं

5- ठोस अपशिष्ट प्रदूषण के प्रबन्धन

6-  निष्कर्ष

1-ठोस अपशिष्ट प्रदूषण:-

आज हम ठोस अपशिष्ट प्रदूषण क्या है ? के बारे में  पूरी जानकारी देंगे । जो उपयोग के बाद बेकार एवं निर्थक पदार्थों हो जाते  है । जिनका कोई महत्व नहीं होता है , उसे ठोस अपशिष्ट तत्व कहते है । जिन ठोस अपशिष्ट तत्वों की उपयोगिता समाप्त हो जाती है । परन्तु ये पर्यावरण की मौलिकता को समाप्त करने में सक्षम होते है ।  विश्व की बढ़ती जनसंख्या के कारण इनके परिणामो में निरन्तर वृध्दि हो रही है । जिनसे उत्पन्न प्रदूषण को ठोस अपशिष्ट प्रदूषण कहते है ।

ठोस अपशिष्टों का उत्पादन आधुनिक समृध्द भौतिकवादी समाज है । जोअपनी आर्थिक समृद्धि एवं औद्योगिक विकास के लिये उपयोग करते है । विश्व  के आर्थिक समृध्दि देश अर्थात पश्चिमी देशों की प्रयोग करो और फेंको संस्कृति  ठोस अपशिष्ट प्रदूषण की विकट समस्या के जिम्मेदार है । इसके विपरीत अविकसित एवं विकासशील देशों के निर्धन समाज की  संरक्षण संस्कृति है । जिसके कारण गरीब समाज  ठोस अपशिष्ट पदार्थों का बार – बार उपयोग करते रहते है । जिससे प्रदूषण कम उत्पन्न होता है ।

2- ठोस अपशिष्ट प्रदूषण के स्रोत :-

ठोस अपशिष्ट प्रदूषण क्या है ? के बारे में  पूरी जानकारी दी गयी है । आगे ठोस अपशिष्ट प्रदूषण के स्रोत के विषय में चर्चा करेंगे। जिनके अनेक स्रोत है । जिनको भौतिक – जैविक एवं रासायनिक गुणों तथा उत्पादन स्रोतों केआधार पर वर्गीकृत किया जाता है ।

 1- धात्विक ठोस अपशिष्ट – कांच , डिब्बे , बोतल , क्राकरी  कुर्सी , लोहा  आदि ।

2-  अधात्विक ठोस अपशिष्ट  – पैकिंग का अपशिष्ट ,  कपड़ा , रबर , कास्ट , चार्म, भोज्य पदार्थ आदि 

3- भारी ठोस अपशिष्ट  – मशीनों के पार्ट , फर्नीचर के टुकड़े टायर आदि ।

4- राख पदार्थ – कष्ट  , कोयला , उपलिय की राख।

5- मृत  जीव  – पशु  , कुत्ता , बिल्ली तथा अन्य जानवर ।

6- उद्योग जन्य अपशिष्ट- नाभिकीय कचरा , कोयला,  रासायनिक अपशिष्ट तत्व आदि ।

7- मकानों के अपशिष्ट – मिट्टी, पत्थर , धातु आदि । 

8-  कृषि सम्बंधित अपशिष्ट – भूसा ,खाद , पत्तिया अनाज आदि ।

9- मल – मूत्र – ग्रामीण क्षेत्रो में उत्पन्न मल एवं मूत्र ।

3- भारत में ठोस अपशिष्ट प्रदूषण:-

भारत में ठोस अपशिष्ट प्रदूषण के बारे में जानकारी देंगे  ।भारत में बढ़ती जनसंख्या के कारण  प्रति दिन  300000 टन से अधिक अधिक  अपशिष्ट पदार्थों का उत्पादन करते है । देश के 30000 से अधिक जनसंख्या वाले 45 बड़े नगर में  अपशिष्ट पदार्थों को उत्पन्न करते है । भारत के छः बृहत्तम महानगर में  भारी मात्रा में अपशिष्ट  पतिदिन उत्पन्न करते है , जो निम्न है।

1- दिल्ली

2- मुंबई

3- चेन्नई

4- कलकत्ता

5- हैदराबाद

6- बंगलौर

जिस  प्रकार पुरे विश्व में अपशिष्ट एवं कचरों की वार्षिक वृध्दि हो रही है । जिसके  कारण पर्यावरण  में भयंकर समस्याओं केआगमन के  खतरे की घंटी बजा रहे है । 

4-  अपशिष्ट प्रदूषण से उत्पन्न समस्याएं :-

विश्व में भौतिकवादी समाज ने अपने आर्थिक समृध्दि एवं उपयोगिता के कारण विभिन्न प्रकार से  C फेक देते है । जिससे  स्थल से सागर तक के सभी जीव – जन्तुओ एवं वनस्पतिओं  संकट उत्पन्न हो गया है । जिसके कारण  मछलियों एवं कोरल आदि  सागरीय  जीवो की  लगातार मृत्यु होती जा रही है । तथा मानव में अनेक रोगो में वृध्दि  हो रही है ।  जैसे – डायरिया ,डिसेंट्री हैजा ,  प्लेग एवं हेपॅटाइटिस  आदि  रोग ठोस अपशिष्ट  जनित समस्याये है ।                                                                                     

5- ठोस अपशिष्ट  प्रदूषण के प्रबन्धन:- 

 ठोस अपशिष्ट पदार्थों का दहन, निपटान , स्वरूप परिवर्तन आदि प्रबन्धन  के अन्तर्गत आता है । वास्तव में किसी स्थान पर अपशिष्ट पदार्थ का सड़-गल  कर प्रदूषण फैलाते है ।  जिसका  नियोजित पुनः उपयोग एवं निपटान नितान्त आवश्यक है।  इस दिशा में  विकसित एवं विकासशील सभी देशों  को प्रयत्नशील है ठोस अपशिष्ट प्रदूषण  के प्रबन्धन  निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है ।

1- पुनर्चक्रण

2- अपशिष्टों को नष्ट करना

3- दहन 

4- विखण्डन                                                           

1- पुनर्चक्रण-  इसमें  अपशिष्ट पदार्थ को पुनः प्रयोग में लाया जाता है । जैसे – प्लास्टिक व धातुओं को गलाकर पुनः उपयोग में लाया जाता है ।      

2- अपशिष्टों को नष्ट करना-    ठोस कचरे को  निम्नलिखित प्रकार से नष्ट किया जाता है।

(a) कम्पोस्टिंग – इसके द्वारा जैविक अपशिष्टों को खाद में बदलते है ।

(b) दबाना –  इस प्रक्रिया से ठोस कूड़ा –  कचरे को जमीन में गड्डा खोद कर दबा देते है । 

3- दहन –  इस विधि से कचरे जलाये जाते है । कचरे एकत्र करके दहन  यंत्र में जलाया जाता है । भारत में दहन यंत्र  नागपुर में लगाया गया है । 

4- विखण्डन-    इस प्रक्रिया  में अपशिष्ट पदार्थ मशीन द्वारा पिसा जाता है । न ज्वलनशील और न घुलनशील होते है। जैसे – चीनी मिट्टी के बर्तन  , प्लास्टिक  आदि ।

6-  निष्कर्ष :-

  आज आपने इस आर्टिकल के माध्यम  से ठोस अपशिष्ट प्रदूषण क्या है ?उनके स्रोत के बारे में जानकारी दी गयी है .तथा ठोस अपशिष्ट  प्रदूषण के प्रबन्धन के बारे में भी  जाना  गया है  ? उनके स्रोत के बारे में विस्तार से जाना । तथा  अपशिष्ट प्रदूषण से उत्पन्न समस्याएं और ठोस अपशिष्ट  प्रदूषण के प्रबन्धन के बारे में भी विस्तार से जाना है । हम आशा करते है कि यह आर्टिकल आपको अच्छा लगा होगा । तो अपने दोस्तों -मित्रो  शेयर  और लाइक  करे।

धन्यवाद  

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