ज्वालामुखी किसे कहते है

ज्वालामुखी किसे कहते है

आइए हम ज्वालामुखी किसे कहते है , इनके प्रकार , प्रभाव का अध्ययन करगे।  पृथ्वी के धरातल के

आंतरिक एवं ऊपरी सतह पर विभिन्न क्रियाएँ होती रहती है ।  ज्वालामुखी  का अर्थ वह  दरार  है

जिससे  तप्त गैस, तरल लावा  बाहर होता है । या ज्वालामुखी का शाब्दिक अर्थ होता है , जिसके मुख से

आग निकलती है  जिसमे निम्नलिखित का अध्ययन किया गया है ।

1-ज्वालामुखी के प्रकार

2-ज्वालामुखी  उदगार के कारण

3- ज्वालामुखी की क्रियाएँ

4- ज्वालामुखी से निकलने वाले पदार्थ

5- ज्वालामुखी का  विश्व वितरण

6- ज्वालामुखी का प्रभाव

7   -निष्कर्ष

1-ज्वालामुखी के प्रकार :-

विभिन्न आधारों  पर ज्वालामुखी का वर्गीकरण किया गया है । जिसमे दो प्रकार है ।

A- ज्वालामुखी उद्गार के अनुसार

B- ज्वालामुखी  उद्भेदन  के आधार

A- ज्वालामुखी उद्गार के अनुसार :-    ज्वालामुखी उद्गार दो  प्रकार के होते है ।

1-  केंद्रीय उद्गार :-    जब ज्वालामुखी उदभेदन किसी  एक केंद्रीय मुख से होता है तो उसे केंद्रीय

उदभेदन कहते है । यह विनाशात्मक प्लेटो के किनारों के सहारे होते है ।  केंद्रीय उद्गार से निकले पदार्थो

से शंकुओं की रचना होती है । जिन्हे ज्वालामुखी कहते है । ये कई प्रकार कई होते है – हवाई तुल्य ,

स्ट्राम्बोली तुल्य ,  वल्कैनो तुल्य , पिलियन तुल्य , विसूवियत तुल्य । इनमे  पिलियन तुल्य नसबसे

विनाशकारी है। जैसे- पशिचमी द्वीप समूह के मर्टिनिक द्वीप का पिली ज्वालामुखी ,  सूडान जलडमरू

मध्य का क्राकाटवा  एवं फिलीपाइन द्वीपं समूह का माउन्ट ताल ।

2- दरारी उदभेदन :–    भू – गर्भित हलचलों से भूपर्पटी की चट्टानों में दरारे पड़ जाती है , इन दरारों से लावा धरातल पर आ जाता है जिसे दरारी उदभेदन कहते है  इस प्रकार का उद्गार  क्रिटासियस  युग में सबसे अधिक हुआ ।         

B- ज्वालामुखी  उद्भेदन  के आधार  :-

उद्भेदन के आधार पर ज्वालामुखी तीन प्रकार के होते है ।

1- सक्रिय ज्वालामुखी :-  जिनके मुख से सदैव धुँआ,धूल,वाष्प,गैस राख,चट्टानखंड, लावा आदि बाहर निकलते रहते है । सक्रिय ज्वालामुखी कहते है।वर्तमान में इनकी संख्या 500 से अधिक है ।

  • सिसली द्वीप का — माउन्ट एट्ना
  • लेपरी द्वीप का — स्ट्राम्बोली
  • अंटार्कटिका का — कोटोपैक्सी
  • अंडमान – निकोबार का    —  बैरन  द्वीप
  • हवाई द्वीप का — मोनालोवा
  • आर्जेंटीना —   ओजल डेल  सालाडो

 2 -प्रसुप्त ज्वालामुखी :-      ऐसे ज्वालामुखी जो पहले सक्रिय थे किन्तु अभी शांत है लेकिन जिसमे कभी भी उदगार हो सकता है । उसे प्रसुप्त ज्वालामुखी कहते है।

  • इटली का – विसुवियस
  • जापान का —  फ्यूजियामा
  • इंडोनेशिया का – क्राकटाओ
  • अण्डमान-  निकोबार का –  नारकोंडम द्वीप

ज्वालामुखी किसे कहते है

3- शान्त ज्वालामुखी :-  ऐसे ज्वालामुखी जिसमे लम्बे समय से उदगार नहीं हुआ । और नहीं कोई होने

की संभावना है । उसे शान्त  ज्वालामुखी कहते है ।

  • ईरान का –  कोह सुल्तान एवं देवबंद
  • म्यांमार का – पोपा
  • तंजानिया का – किलोमान्जारो
  • इक्वेडोर का – चिम्बाराजो
  • एंडीज पर्वत श्रेणी – एकांकागुआ

2-ज्वालामुखी  उदगार के कारण:-

ज्वालामुखी उदगार के निम्नलिखित कारण है ।

  • वलय एवं भ्रंशन :-  आंतरिक हलचल के कारण धरातल पर कहीं वलय पड़ जाते है ।  तो कहीं चट्टान टूटकर एक दूसरे से अलग खिसक जाती है , जिसे  भ्रंशन कहते  है । निचे की चट्टानों का दबाव घट जाता है और आयतन बढ़ जाता है जिससे मैग्मा बाहर निकलने लगता है तब लावा का जन्म हो जाता है ।
  • रेडियो एक्टिव तत्वों द्वारा :-  पृथ्वी के अंदर रेडियो  एक्टिव तत्वों – यूरेनियम , थोरियम आदि के विघटन से आपार उष्मा उत्पन्न होती है  । तब ज्वालामुखी उद्भेदन होता है ।,
  • गैसों की उत्पति :-   भू – पटल की दरारों से पृथ्वी का जल नीचे चला जाता है ।  जिसके कारण भीतर के तप में पतिवर्तन होता है ।। तो गैसों का आयतन एवं दबाव बढ़ जाता है । जिसके  कारण लावा ऊपर आ जाता है ।
  • प्लेट विवर्तनिकी द्वारा :-      जब दो प्लेट एक – दूसरे के करीब या दूर गतिशील होते है ।  तो नीचे दाब की कमी एवं आयतन की वृद्धि आ जाती है । जिससे तप्त लावा  विस्फोट के साथ ऊपर आ जाता है ।

3-ज्वालामुखी की क्रियाएँ :-

ज्वालामुखी क्रिया के  मैग्मा के ठंडा होने की प्रक्रिया शामिल होती है । यह क्रिया दो रूपों में होती हैं ।

1- धरातल के नीचे  भूगर्भ में मैग्मा के शीतल होकर जमने की प्रक्रिया :-    जिससे  बैथोलिथ

फैकोलिथ, लैपोलिथ ,  सिल  तथा डाइक का  निर्माण होता है ।

2- धरातल  के ऊपर घटित होने वाली क्रियाए:-   इनमें  प्रमुख है ।  ज्वालामुखी , धरातलीय प्रवाह ,

गर्म जल सोते , गीजर ,  धुंआरे है ।

4- ज्वालामुखी से निकलने वाले पदार्थ:-

ज्वालामुखी से निकलने वाले पदार्थ को तीन श्रेणियों में विभक्त किया जाता है ।

  • गैस तथा जलवाष्प :– ज्वालामुखी उदभेदन के समय सर्वप्रथम गैस  एवं जलवाष्प बाहर आते है । जलवाष्प सबसे अधिक होता है।उसी समय प्रमुख गैस मेंCO2 ,नाइट्रोजन, सल्फर डाइआक्साइड  आदि बाहरआती  है ।
  • विखण्डितं पदार्थ :- इसमें धूल एवं राख केधनिभवन से बनी चट्टाने निकलती है। जिसमे चट्टानी टुकड़े टफ,लैपिन,बॉम्ब एवं ब्रेसिया आदि बाहरआते है । 
  • लावा :-  ज्वालामुखी उदगार  के समय भूगर्भ में स्थित तरल पदार्थ मैग्मा कहते है । जब धरती पर निस्सृत होता है तो उसी लावा कहते है।सिलिका के आधार लावा दो प्रकार के होते है ।1- एसिड लावा  2-बेसिक लावा
5- ज्वालामुखी का  विश्व वितरण:-

संसार के अधिकांश ज्वालामुखी समुद्रो तटो एवं द्वीपों पर पाये जाते है

  • प्रशांत महासागरी पेटी :-  विश्व में सबसे अधिक ज्वालामुखी इसी पेटी में पाई जाती है इस पेटी में उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका , जापान , फिलीपींस , क्यूराइल द्वीप , इंडोनेशिया एवं न्यूजीलैंड आते है । इस मेखला को प्रशांत महासागर का अग्नि वृत्त कहते है ।
  • मध्य महाद्वीपीय पेटी :-      यह पेटी यूरोप एवं एशिया के मध्य क्षेत्रो में नवीन वलित पर्वत के रूप में  फैली है । इसके अंतर्गत इटली तथा पूर्वी भूमध्य सागर आते है  यह मेखला काकेशिया , आर्मीनिया,फारस ,बलूचिस्तान ,वर्मा एवं पूर्वी द्वीप समुह तक फैला है ।
  • आंध्रा  महासागरीय पेटी:-   यह पेटी मध्य अमेरिका के    लघु    अंटालिज द्वीपों तक प्रवेश करते हुए पश्चिम द्वीप समूह तक फैली हुए है ।  यह पूरब क्षेत्र में एजोर्स, केपवर्ड तथा कनारी द्वीप तक चली गयी है ।
  • अन्य क्षेत्र :-     इसमें हिन्द महासागर में मारीशस कोमाटो , रियूनियन है । अंटार्कटिक  महाद्वीप में रास सागर में एरेबुश तथा टेबर है ।
6- ज्वालामुखी का प्रभाव :-
  ज्वालामुखी विस्फोट अधिकतर विनाशकारी होता है ।  जिसमे अपर धन – जन की हानि होती है ।         नगर एवं गांव का विनाश हो जाता है । सन1879 ई 0  के विसुवियस  के उदगार से पाजपिआइ  और हरकुलेनियम  नगर  दब  गये तथा  धन- जन की अपार  हानि  हुई। किन्तु उदगार से अनेक प्रकार के लाभ भी होते है ।  पृथ्वी पर उपजाऊ काली मिट्टिय , अनेक प्रकार के महुमुल्य खनिज पदार्थ बाहर आते है । तथा झीलों का निर्माण होता है । जिसके जल से कृषि क्षेत्रो में सिंचाई होती है ।
7   -निष्कर्ष :-    ज्वालामुखी किसे कहते है ,  इनके प्रकार , प्रभाव का अध्ययन किया गया । जिससे ज्ञात हुआ की ज्वालामुखी के उदगार से विनाश एवं विकाश दोनों होता है । जिसका प्रभाव मानव जीवन पर लाभ -होनी  के रूप में  मिलता है ।

 

 


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