जेट स्ट्रीम किसे कहते है ?

पृथ्वी के चारो ओर  वायुमण्डल  है |जिसके क्षोभमण्डल में अत्यधिक तीब्र गति के पवन प्रवाह को जेट

स्ट्रीम कहते है। जो क्षोभमण्डल पर 8 से 12 किमी में चलती है। जिनकी   चौड़ाई 160 से 480  किमी

तथा मोटाई लगभग 2 किमी  की होती है।  सामान्यतः  ये धाराएं उत्तरी  गोलार्ध में ही  पायी जाती है ।

दक्षिण गोलार्ध में यह मुख्यतः 60° दक्षिण अक्षांश से ध्रुव की ओर प्रवाहित होती है । अन्य  अक्षांशो के

ऊपर यह रास्वी लहरे के रूप में मिलती  है ।

इन  जेट स्ट्रीम  की उत्पत्ति भूमध्य रेखा से ध्रुवो की ओर होता है , जहां तापमान प्रवणता तथा ध्रुवो के

धरातलीय भाग  पर उच्च वायुदाब एवं उसके  ऊपर क्षोभमण्डल में निम्न वायुदाब होने के कारण होता है

। जिसके कारण जेट जनित परिध्रुवीय भंवर उत्पन्न होती है ।  इनके सीधे प्रवाह से लेकर लहरनुमा प्रवाह

मार्ग के बनने की अवधि  को सूचकांक- चक्र कहते है । यह चार अवस्था में पूर्ण होती है ।  जेट स्ट्रीम  के

कारण धरातल पर बाढ़ -सूखा आते है। इस धाराएं की जानकारी अमेरिका -जापान युध्द  के समय

जवानो ने दिया ।

जेट स्ट्रीम  के प्रकार :-

जेट स्ट्रीम  को निम्न वर्गों में विभाजित किया जा सकता है ।

1  -ध्रुवीय जेट वायु धाराएँ

2- ध्रुवीय वाताग्र जेट प्रवाह

3 -उपोष्ण कटिबंधीय पछुआ जेट

4  -उष्ण कटिबंधीय पूर्वा जेट

1  -ध्रुवीय जेट वायु धाराएँ –   ये 60° उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांशो से ध्रुवो की ओर प्रवाहित  होती है ।

इनका बहाव क्षोभमंडल में होता है। उत्तरी गोलार्ध में इनकी दिशा दक्षिण- पश्चिम से उत्तर -पूरव की ओर

होता है ।दक्षिणी गोलार्ध में उत्तर -पश्चिम से दक्षिण -पूरव की ओर होता है  ।

2- ध्रुवीय वाताग्र जेट प्रवाह-  इनका निर्माण ध्रुवीय शीत एवं उष्ण वायुराशियों के मिलने से होता है  । 

ये ( 30°-60°अक्षांश ) के ऊपर क्षोभमंडल में होता है । इनकी प्रवणता अधिक होती है । ये दक्षिण-

पश्चिम से उत्तर पूरब की ओर प्रवाहित होती है । परन्तु  अधिक अनियमित रहती है । तथा 150- 300

किमी / घंटा की चल से चलती है ।  इस जेट स्टीम की खोज स्वीडन वैज्ञानिक  रॉसबी नई किया है, इसे 

Rossby waves  कहते है ।

3 -उपोष्ण कटिबंधीय पछुआ जेट-   इनका प्रवाह उपोष्ण उच्च वायुदाब  की  पेटी के उत्तर ऊपर 

क्षोभमंडल में होता है ।  जो 10- 14 किमी तथा 30°- 35° अक्षांशो के ऊपर होता है  ।  इनकी गति 340

से 385 किमी /घंटा होती है । इनकी उत्पत्ति का कारण विषुवत रेखीय में संबहन क्रिया है।  जिससे 

हवाओं का क्षोभ सीमा की  पेटी में  उत्तर- पूरब प्रवाह है।  भारत  में दिसंबर से फरवरी के मध्य पक्षिमी 

विक्षोभ  होता है। जिसका जिम्मेदार जेट पवने  है ।

4 -उष्ण कटिबंधीय पूर्वा जेट –  यह केवल उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म काल में चलती है। जो भारत तथा

अफ्रीका के ऊपर  14 से 16 किमी होती है।   जेट  पवन भारत में मानसून की उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी

है । जेट हवाये  भारत  में संबहनीय वर्षा करती है ।

जेट प्रवाह का सूचकांक -चक्र:-

jet स्ट्रीम

 जेट  स्ट्रीम की स्थिति एवं  विस्तार में प्रायः परिवर्तन होता रहता है। यह बदलाव  ध्रुवों से भूमध्य रेखा की

ओर होता है ।  इस धारा का प्रवाह सीधे से लेकर लहरनुमा मार्ग में होते  है , इस अवधि को सूचकांक

चक्र  कहते है । इनकी  दिशा पश्चिम  से पूर्व की ओर चलती है। यह चार अवस्थाओं में पूर्ण होता है ।

    प्रथम अवस्था  –  इस अवस्था में जेट स्ट्रीम ध्रुवों के पास होती है । इसी कारण इसे उष्ण कटिबंधीय 

सूचकांक कहते है। उत्तरी गोलार्ध में  जेट धारा के उत्तर में ध्रुवीय ठंडी एवं  दिक्षीण में गर्म पछुआ हवा

होती है । जेट स्ट्रीम  का संचार पश्चिम से पूर्व सीधे मार्ग में होता है । क्योकि रासबी लहरे का निर्माण नहीं

होता है ।  ठंडी तथा गर्म वायु के अभिसरण के कारण चक्रवात का  उद्भव होता है । 

द्वितीय अवस्था –   समय के साथ जेट धाराओं में लहरे उत्पन्न होती है।  जिसके कारण  रासबी लहरों का

निर्माण प्रारम्भ हो जाता है । जिसके परिणाम स्वरूप जेट स्ट्रीम का भूमध्य रेखा की ओर विस्तार होने

लगता है। 

तृतीय अवस्था    –  ये स्ट्रीम का प्रवाह पूर्णतया लहरनुमा हो जाता है  जिसके कारण वह भूमध्य रेखा के

करीब हो जाता है।  जब कि इनकी अवस्था पूरब – पश्चिम दिशा में हो जाता है । 

चतुर्थ अवस्था –  अत्यधिक देशांतरीय प्रवाह के कारण तरंगो का विच्छेद हो जाता है । जिसके कारण

मूलधारा से अलग होकर कई  भगो  में बट जाती है । जेट धारा के दक्षिण ( भूमध्य  रेखा ) भाग को   

चक्रवातीय कोशिकाये बन जाती है। तथा उत्तर  ( ध्रुवीय कि ओर ) में प्रतिचक्रवतीय कोशिकाये बन जाती

है।  यहअवस्था निम्नकटिबंधीय सूचकांक कहलाती है । 

जेट स्ट्रीम का महत्त्व :-

धरातल पर मौसम तथा जेट स्ट्रीम में घनिष्ट सम्बन्ध होते है ।

1- ध्रुवीय वाताग्र , जहां पर  चक्रवात तथा तुफानो का जन्म होता है ।

2- जेट  स्ट्रीम के कारण चक्रवात एवं प्रतिचक्रवात के रूप में परिवर्तन  होने से  मौसम में उतार चढ़ाव होता है ।  जिसके फलसरूप बाढ़ -सूखा  पड़ता है ।

3 क्षोभमंडल के ऊपरी वायुमण्डल में अभिसरण एवं अपसरण होने से तूफान आता है ।

4 दक्षिण एशिया में मौसम के परिवर्तन पर जेट स्ट्रीम का  प्रभाव होता है

निष्कर्ष:-

जेट स्ट्रीम किसे कहते है ? उनके प्रकार एवं विभिन्न अवस्थाओं  के अध्ययन से ज्ञात हुआ, कि जेट स्ट्रीम

का विश्व की जलवायु तथा मौसम पर गहरा प्रभाव  है ।  जिसके कारण मौसम के परिवर्तन के साथ बाढ़

सूखा भी आते है ।

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https://en.wikipedia.org/wiki/Jet_stream


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