चक्रवात क्या है,उसकी उत्पत्ति कैसे हुई है ?

आइये हम अध्ययन करे, कि चक्रवात क्या  है  ,उसकी उत्पत्ति कैसे हुई है ? चक्रवात उन चक्करदार

हवाओ को कहते है जिनके मध्य निम्न वायुदाब तथा किनारे पर उच्च वायुदाब होता है ।  यह निम्न

वायुदाब के केंद्र होते है । केंद्र से बाहर कि ओर  वायुदाब बढ़ता है , फलतः परिधि से केंद्र कि ओर आधी

चलने लगती है , जिनकी दिशा उत्तरी गोलार्ध में घडी की सुइयों के विपरीत तथा दक्षिणी गोलार्ध में

अनुकूल होती है ।

चक्रवात एक प्राकृतिक आपदा है । जब झंझा जिस क्षेत्र में उत्पन्न होता है , वहां मानव  जीवन के साथ-

साथ हमारी अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है । जिसमे प्राकृत के पुरे ढाचा को अस्त व्यस्त कर देता 

है । इसको ध्यान में रखकर , चक्रवात  क्या है, उसकी उत्पत्ति कैसे होती है तथा उनके प्रकारो  का  आगे

जानकारी लगे ।  स्थिति एवं उदगम  स्थान के आधार पर  चक्रवात दो प्रकार के है।

1 -शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात

2- उष्ण कटिबंधीय चक्रवात

1-शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात( Temperate  cyclones):-

शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात मध्य व उच्च अक्षांशो में विकसित  होता  है , उन्हें  शीतोष्ण कटिबंधीय

चक्रवात कहते  है ।  मध्य  व उच्च क्षेत्र में गुजरते है,तो मौसम अचानक परिवर्तन होता है ।  शीतोष्ण

गर्तचक्र दोनों गोलार्ध में 35 °तथा 65 ° के बीच के भू भाग में उत्पन्न होते है । इनके  केंद्र और बाहर की

ओर दाब में   10-20 व 35 मिलीबार का  अन्तर होता  है ।  झंझा के आदर्श दीर्घ व्यास 1920 किमी तथा

लघु व्यास 1040 किमी  लम्बा होता है । चक्रवात प्रायः पश्चिम से पूरब दिशा में भ्रमण करते है । परन्तु

व्यापारिक पवनो के क्षेत्र में पूरब से पश्चिम की ओर हो जाते है । गर्मी में इनकी औसत गति 32 किम प्रति

घंटा तथा जाड़े में 48 किमी प्रति घंटा होती है ।

कभी- कभी तूफान की गति से आगे बढ़ते है । तूफान के सामने वाले भाग को वाताग्र कहते है ।  वातागो

को  तीन भागो में विभक्त किया गया है

(a) शीत वाताग्र  –ठंडी वायु राशि के अगले भाग को शीत वाताग्र कहते है ।  आधी में   इनकी  गति 

गर्म वायु राशि की तुलना अधिक होती है ।

(b) उष्ण वाताग्र – उष्ण वाताग्र की गति , ठंडे वाताग्र की गति की तुलना में कम होती है । 

(c) मिश्रित वाताग्र – ऊपर उठती उष्ण वाताग्र तथा उसी क्षेत्र  में प्रवेश करने वाली ठंडी वाताग्र जब

एक दूसरे से मिलती है, तो उसे अवरुध्द या मिश्रित वाताग्र कहते है। 

शीतोष्ण चक्रवात की उत्पत्ति का केन्द्र:-

जब दो भिन्न ताप वाली  वायुराशियों   आपस में मिलती है, तो  गर्तचक्र का निर्माण होता है । शतोष्ण की

शीतल वायु तथा उष्ण की गर्म  वायु एक दूसरे में प्रवृष्ट करती है , तो  हल्की होकर ऊपर उठ जाती है।

जिससे वह पर न्यून दाब  केंद्र बन जाता है । तो केंद्र के चारो ओर हवाये प्रवेश करती है । जिसके

फलसरूप चक्रवात उत्पन्न होता है। चक्रवात के दक्षिण- पूर्वी  को उष्ण वृत्तांश तथा उत्तरी- पश्चिम भाग

को शीत वृत्तांश कहते है जब शीत वाताग्र,उष्ण वाताग्र में प्रवेश करता है तो चक्रवात समाप्त हो जाता है ।

उत्तरी गोलार्ध में चक्रवात उत्पत्ति के भिन्न केंद्र  है ।

1- उत्तरी अमेरिका के उत्तर -पूर्व तटीय भाग -ये हवाए पछुआ हवाओ के साथ पूर्व दिशा में चलती है

और यूरोप के मध्य भाग पहुंचकर बिलीन हो  जाती है ।

2 -एशिया के उत्तर- पूर्व  तथा पूर्वी तटीय भाग  -इस भाग में उत्त्पन्न होकर उत्तर -पूर्व दिशा में भ्रमण

करते है । और  अमेरिका के  पश्चिम तटीय भाग तक जाते है , वहां  बिलिन हो जाते है ।

दिक्षीण गोलार्ध में पश्चिम से पूर्व दिशा में अक्षांशो के समानांतर चलते  है

3- अटलान्टिक महासागर    –  इसमें उत्पन्न गर्तचक्र  शीत ऋतू में भूमध्यसागरीय प्रदेशो को पर करते

है , और एशियाई टर्की में प्रवेश करते है ।   यहां से   ईरान इराक अफगानिस्तान पाकिस्तान एवं उत्तरी

भरत में प्रभाव दिखते है ।

शीतोष्ण चक्रवात का जीवन चक्र  या ध्रुवीय वाताग्र सिद्धांत :-

नार्वे के  मौसम  विशेषज्ञ  बी बिरकनेस और उनके पुत्र जैकब ने ध्रुवीय वाताग्र सिध्दांत प्रस्तित किया  है ।

जिससे शीतोष्ण चक्रवात की उत्पत्ति के विषय में बताये है। इसके द्वारा गर्तचक्र की पूर्व सुचना एवं

भविष्यवाणी की जा सके । एक चक्रवात की उत्पत्ति से लेकर अवसान तक को गर्तचक्र का जीवन चक्र

कहते है । यह चक्र  6 क्रमिक चरणों में सम्पन्न  होता है

चक्रवात

प्रथम चरण –  इस अवस्था में गर्म एवं ठंडी हवाएं एक दूसरे से समनान्तर चलती है । तथा वाताग्र  स्थायी

होती है ।

दूसरा चरण – इसको गर्म चरण की आरम्भिक अवस्था कहते है । इस  चरण में गर्म वायु ऊपर उठने

लगती है तथा ठंडी वायु ,  गर्म वायु की ओर अग्रसर होती है, जिसके कारण लहरनुमा वाताग्र का निर्माण

होता है ।

तीसरा चरण- इसमें गर्तचक्र का रूप प्राप्त हो जाता है और वाताग्र का पूर्ण विकाश हो जता है ।

चौथा चरण – चौथी अवस्था में शीत वाताग्र , उष्ण वाताग्र की ओर अग्रसर होने लगता है|

पांचवा चरण- अग्रसर होकर इस अवस्थ में अवसान प्रारम्भ हो जाता है |

छठा चरण- गर्तचक्र पूर्ण विकसितहो जाता है और चक्रवात समाप्त हो जाता है|

शीतोष्ण चक्रवात में मौसम तथा वर्षा :-

वायुदाब एवं तापमान में विभिन्नता के कारण गर्तचक्र विभिन्न भागो में अनियमित होते है|

चक्रवात का आगमन  -पश्चिम दिशा सेआने वाले गर्तचक्र जब समीप होता है तो पक्षाभ तथा पक्षाभ

स्तरीबदल दिखते है | चन्द्रमा एवं सूर्य के चरो ओर प्रभामण्डल बन जाता है ,    वायु  वेग मंद और

वायुदाब गिरने लगता  है । चक्रवात जैसे  – बदल काले व् घना ,  तापमान बढ़ने ,  बदलो की  ऊचाई कम

तथा वायु की दिशा पूर्वी से बदल कर दक्षिण पश्चिम होने लगती है ।

उष्ण वाताग्र प्रदेशीत वर्षा –उष्ण वाताग्र  के आने पर वर्षा प्रारम्भ  हो जाती है । इस  वाताग्र गर्म हवा

धीरे धीरे ऊपर उठती है । वर्षा  मंद गति से अधिक  समय तक  होती है ।

उष्ण वृत्तांश – इस वाताग्र से गुजरने पर उष्ण वृत्तांश का आगमन होता है । मौसम अचानक परिवर्तन

होकर साफ हो जता है ।

 वाताग्रशीत – इसके आगमन से सर्दी बढ़ने लगती है , जिसके फलसरूप वर्षा प्रारम्भ हो जाती है ।

शीत वाताग्र प्रदेशीय वर्षा- आकाश में काले  कपासी वर्षा बादल छा जाते  है तथा तीब्र वर्षा प्रारम्भ हो जाती है ।

शीत वृत्तांश-  मौसम अचानक परिवर्तन होने लगता है , आकाश स्वच्छ ,  तापमान में कमी, दाब में वृद्धि लगती है  ।

2- उष्ण कटिबंधीय चक्रवात:-

कर्क एवं  मकर रेखाओ के मध्य उत्पन्न चक्रवातों को उष्ण कटिबंधीय  गर्तचक्र कहते है । ये ग्रीष्म काल

में  उत्पन्न होते  है। जबकि तापमान 27 °C से अधिक होता है । इसके केंद्र में वायुदाब कम होता है ।

समदाब रेखाएं वृताकार होती है ।  दुनिया में  प्रति साल 80 तेज तूफान आते है ।  अधिकांश उष्ण

चक्रवात डोलड्रम की उत्तर अथवा दक्षिण में विकसित होता है 

उत्पत्ति –  इनका विकाश केवल सगरो के ऊपर होता है । भूमध्य रेखा पर नहीं होता है , ये चक्रवात विश्व

की ऊष्मा एवं आर्द्रता का एक शक्तिशाली दृश्य है । सगरो के  ऊपर कई सौ  मीटर की ऊचाई तक एक

प्रकार का तापमान आर्द्रता तथा वायुदाब होता है । गर्तचक्र हेतु निम्न  मौसमी दशाओ की आवश्यकता

होती है ।   

1 -गर्म एवं आर्द्र वायु  की निरंतर आपूर्ति होनी चाहिए ।

2 -डोलड्रम पेटी में सागर की सतह का  तापमान 20 °से 25° की आस पास 

3 – वायुमंडल शान्त ।

4 – कोरियो की प्रभाव की कारण व्यापरिक पवनें मन्द गति से उत्तरी गोलार्ध में दाहिनी ओर मूड जाती  है । 

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात के प्रकार :-   

   इन गर्तचक्रो  को इनके आकर, स्वभाव ,मौसम तथा विभिन्न विनाशकारी घटनाओ  के आधार पर किया गया है ।

(1) उष्ण कटिबंधीय विक्षोभ –    इन  चक्रवातों में एक  या दो घिरी समदाब रेखाए होती है । हवाए

क्षीण गति से केंद्र की ओर प्रवाहित होती है । ये मन्द गति से आगे बढ़ते है ।  परन्तु उष्ण चक्रवात में   

सर्वाधिक विस्तृत तथा व्यापक होते है । इनका  प्रभाव उष्ण एवं उपोष्ण दोनों में होता है ।  यह कई दिनों 

तक स्थाई रहते है ।

(2) उष्ण कटिबंधीय गर्त  –  यह छोटे आकर का चक्रवात होता है, जिसे अवदाब कहते है। इसकी 

गति 40 -50  किमी प्रति घंटा होती है इनका आविर्भाव अंतरा उष्ण कटिबंधीय अभिसरण(ITC) के साथ

होता है। ये  गर्तचक्र भारत उत्तरी आस्ट्रेलिया जापान एवं चीन को प्रभावित करता है । इनके  फलसरूप

बाद तथा वर्षा आती है । 

(3) उष्ण कटिबंधीय तूफान   –  ये चक्रवात अत्यधिक शक्तिशाली और विनाशकारी तूफान होते है । 

इनकी  गति अति तीब्र होती है। पश्चिमी द्वीप समूह में हरिकेन चीन फिलीपींस तथा जापान के निकट

टाइफून तथा हिन्द महासगर में चक्रवात कहा जाता  है । प्रचंड चक्रवात कई समदाब रेखाओ वाले

विस्तृत गर्तचक्र होते है जिनकी गति 120 किमी / घंटा से अधिक होती है । जिसके परिणाम तूफान एवं

मुसला धार वर्षा होती है ।     

 उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों  के नाम  :-

1- टाइफून- चीन में

2 -टेफू -जापान में

3 बेजियो- फिलीपींस  में

4- हरिकेन- कैरेबियन सागर में

5-विली- विली -आस्ट्रेलिया में

6- चक्रवात -बंगाल की खाड़ी,  अरब सागर तथा हिन्द महासगर में

7 -टोरनेडो  –    विशेषकर पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका में , गौण रूपमे आस्ट्रेलिया में

8 – कैटरीन ,रीटा ,विल्मा,  बीटा –   USA  के दक्षिण पूर्वी राज्यों में

निष्कर्ष :-

चक्रवात क्या है ? उसकी उत्पत्ति ,आकर, प्रकार एवं स्वभाव  का अध्ययन किया गया है , जिससे ज्ञात

हुआ है , कि पृथ्वी एवं मानव जीवन पर विनाशकारीय प्रभाव पड़ता है । किन्तु  कुछ  वैज्ञानिको  के प्रयास

द्वारा चक्रवात के आने की पूर्व सुचना एवं भविस्यबाड़ी की जाती है । जिससे मानव को समय- समय पर

दिशा निर्देशों द्वारा विनाश को रोका जा सके । यदि मेरा article अच्छा लगा तो likeऔर share 

करे ।      धन्यवाद          

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https://en.wikipedia.org/wiki/Cyclone

       

 

 


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