नमस्कार दोस्तों आप सभी का Absuccessstudy में स्वागत है । आज इस आर्टिकल में पर्यावरण प्रदूषण क्या है ? और उनके प्रकार के बारे में पूरी जानकारी दी गयी है । जिससे विभिन्न परीक्षाओं में अवश्य प्रश्न पूछे जाते है। यदि आपको सही एवं प्रमाणित पूरी जानकारी चाहिए , तो आप इस पोस्ट को अवश्य पढ़े । जिसका अध्ययन करके आप अपनी परीक्षाओं में सफलता हाशिल कर सकते है ।
-:Table of contents :-
1-पर्यावरण प्रदूषण क्या है ?
2-प्रदूषण के प्रकार
2.1- वायु प्रदूषण
2.1.1- वायु प्रदूषणो के प्रभाव
2.1.2-क्लोरोफ्लुरोकार्बन (CFC)
2.1.3 – वायु प्रदूषण नियंत्रण के उपाय
3-निष्कर्ष
1-पर्यावरण प्रदूषण क्या है ?
अब इस आर्टिकल में पर्यावरण प्रदूषण क्या है ? के बारे में जानकरी बताऊगा । पर्यावण प्रदूषण का अर्थ है कि मनुष्य के कार्यो द्वारा स्थानीय स्तर पर पर्यावरण की गुणवत्ता में कमी करना है । मानव औद्योगिक विकास, नगरीकरण , परमाणु ऊर्जा आदि के द्वारा लाभान्वित हुआ है , परन्तु भविष्य में होने वाले अतिघातक परिणामों की अवहेलना किया है । जिसके कारण पर्यावरण में असंतुलन उत्पन्न हो गया है । फलस्वरूप वायु ,ध्वनि ,जल एवं भूमि में प्रदूषण उत्पन्न हो गया है । तथा मानव प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अनेक विनाशक तत्वों को फैलाकर पर्यावरण प्रदूषित कर दिया है ।
प्रदूषण उत्पन्न करने वाले पदार्थो को प्रदूषक कहते है । यह दो प्रकार के होते है ।
1- सूक्ष्म जीव द्वारा अपघटनीय – वे पदार्थ जो सूक्ष्म जीवो द्वारा अपघटित होकर अपने जहरीले प्रभाव खो देते है । जैसे – कूड़ा – करकट
2-सूक्ष्म जीव द्वारा अनपघटनीय- ऐसे पदार्थ जो सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटित नहीं होते है । ये आरम्भ से ही हानिकर होते है । जैसे – जहरीले भारी धातुएं – आर्सेनिक, कैडियम ,सीसा .पारा .BHC ,DDT आदि ।
2-प्रदूषण के प्रकार :-
आप ने जाना है कि पर्यावरण प्रदूषण क्या है ? आगे हम पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार के विषय में पूरी जानकारी दूगा। पर्यावरण प्रदूषण को अधोलिखित वर्गों में विभाजित किया गया है । यथा –
1- वायु प्रदूषण (Air Pollution)
2- जल प्रदूषण (Water Pollution)
3- ध्वनि प्रदूषण (Sound Pollution)
4- मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)
5- जैव प्रदूषण (bio pollution)
6-ठोस अपशिष्ट प्रदूषण(solid waste pollution) 7- रेडियो धर्मी एवं विद्युत् चुंबकीय विकिरण (PRADUSHNradioactive and electromagnetic radiation) pollution
2.1- वायु प्रदूषण:-
पर्यावरण प्रदूषण क्या है और पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार के विषय में पूरी जानकारी दी गयी है। तथा पर्यावरण प्रदूषण में वायु प्रदूषण के बारे में आगे पूरी जानकारी दी जायेगी । वायुमण्डल पृथ्वी का कवच है । भूतल पर समस्त प्राकृतिक तथा मानवीय घटनाओं के कारण वायुमण्डल में उपस्थित गैस है । जो हमारे वायुमण्डल में एक निश्चित मात्रा में होती है । जैसे –
=>प्रमुख गैस ——- वायुमण्डल में निश्चित मात्रा
1- नाइट्रोजन — 78.09 %
2- आक्सीजन — 20.95 %
3- कार्बन डाइआक्साइड — 0.03 %
4- आर्गन — 0.93 %
5- निआन — 0.0018%
6- हाइड्रोजन — 0.00005%
7-क्रिप्टन — 0.0001%
8- हीलियम — 0.0052 %
9- इसके अलावा जल वाष्प, जेनन आदि गैस पायी जाती है ।
जब प्राकृतिक एवं मानवीय कारणों से गैसों की निश्चित मात्रा में अवांछनीय परिवर्तन हो जाता है। जिसके कारण वायुमण्डल में अनेक विषाक्त गैसों एवं पदार्थो मील जाते है , तो उसे वायु प्रदूषण कहते है ।
वायु प्रदूषण के अधोलिखित दो स्रोत है- (A) मानव जनित स्रोत ( B) प्राकृतिक स्रोत
(A) मानव जनित स्रोत- मानव की क्रिया -कलापो से उत्पन्न वायुमण्डल में असंतुलन ही वायु प्रदूषण होता है । जिसको निम्न उपवर्गों में विभाजित किया गया है ।
1- गैस व धूम्र– कोयला ,लकड़ी ,उपले, पेट्रोलियम आदि से ।
2-कणिकीय पदार्थ – लकड़ी कोयला और पेट्रोलियम के दहन से ।
3- ऊष्मा – जीवधारियों के श्वसन से ।
( B) प्राकृतिक स्रोत – प्राकृतिक घटनायें वनाग्नि, ज्वालामुखी, वनस्पतियों की दैहिक क्रियाओ एवं जलीय जीव- जन्तु आदि से उत्पन्न गैस से निर्मित होती है ।
1- ज्वालामुखी उदगार से – सल्फर डाइआक्साइड , हाइड्रोजन सल्फाइड आदि ।
2-वनाग्नि से- कार्बनमोनोआक्साइड , कार्बनडाइआक्साइड एवं राख आदि ।
3-वनस्पतियों की दैहिक क्रियाओ – अमोनिया, नाइट्रोजन के आक्साइड , मीथेन और कार्बनडाइआक्साइड आदि ।
4- जलीय जीव- जन्तु – मिथाइल क्लोराइड आदि ।
2.1.1- वायु प्रदूषणो के प्रभाव:-
पर्यावरण प्रदूषण क्या है ?की जानकारी ऊपर दी गयी है । आगे पर्यावरण में वायु प्रदूषणो के प्रभाव के बारे में पूरी जानकारी दी गयी है। वायुमण्डल में वायु प्रदूषण उत्पन्न करने वाले निम्नलिखित तत्व है ।
1-कार्बन मोनोआक्साइड (CO)
2- नाइट्रोजन के आक्साइड ( NOx)
3- सल्फर के आक्साइड (SOx )
4- क्लोरोफ्लुरोकार्बन (CFC)
5- कार्बन डाइआक्साइड CO2)
6- मीथेन (CH2)
7- सीसा ( Lead)
8- बेंजीन- रक्त कैंसर
9- कैडमियम – ह्यदय रोग
1-कार्बन मोनोआक्साइड (CO)- यह वायु प्रदूषण में 50% भाग पायी जाती है । जो साँस के मध्य से शरीर में पहुंचकर रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन की आक्सीजन वहन क्षमता को कम कर देती है । जिससे मनुष्य की मृत्यु हो जाती है । इसे दमघोटू गैस कहते है । इस गैस की उत्पत्ति जीवाश्म ईधन और खनिज तेल के अपूर्ण दहनSE होती है । इस समस्या का निदान C NG तथा LPG के प्रयोग से किया जा सकता है ।
2- नाइट्रोजन के आक्साइड ( NOx)- इसकी उत्पत्ति तेलों और कोयला के जलने से होती है । जो वायु से मनुष्य के शरीर में प्रवेश करके नाइट्रोजन आक्साइड की अधिक सांद्रण के कारण अनेक रोग पैदा हो जाते है । जैसे – मसूड़ों में सूजन , रक्त स्वाव, निमोनिया , फेफड़े का कैंसर आदि । सुपरसोनिक जेट विमानों से निकली नाइट्रोजन आक्साइड समताप मंडल के ओजोन परत को पतली कर देती है ।
3- सल्फर के आक्साइड (SO2 )– यह गैस से कृषि फसलों , वनों, जलचर जीवों तथा मनुष्यो को अपूर्णीय क्षति होती है । जिससे मानव की आखों में जलन , दमा , खांसी , फेफड़ो के रोग , सिर में चक्कर और साँस लेने में परेशानी होती है । SO2को क्रैकिंग गैस भी कहते है । SO2 से सल्फयूरिक अम्ल बन कर अम्ल वर्षा होती है । जिससे बड़े – बड़े इमारते क्षतिग्रस्त हो जाती है जैसे – ताजमहल आदि ।
2.1.2-क्लोरोफ्लुरोकार्बन (CFC) –
यह क्लोरीन , फ्लुओरीन तथा कार्बन तत्वों के साधारण यौगिक है । जो एयरकंडिशनर , रेफ्रिजरेटर , फोम स्प्रीकन्स अग्निशामक( हैलन गैस ) आदि से उत्पन्न होते है । जो वायुमण्डल में पहुंचकर समतापमंडल में ओजोन गैस एवं परत को क्षय पहुंचते है । जिसके कारण तापमान में वृध्दि होने लगती है तथा गोरी चमड़ी के लोगो में चर्म कैंसर होने लगते है ।
5- कार्बन डाइआक्साइड CO2)- बढ़ती जनसंख्या की दर से जीवाश्म के दहन के कारण CO2 की मात्र वायुमण्डल में विमोचन हो जाती है । तथा तीव्र गति से वनो की कटाई से CO2 का उपयोग नहीं हो पता है । तब जिसके कारण वायुमण्डल में CO2 के सान्द्रण में वृध्दि होने से हरितगृह प्रभाव ( Greenhuose Effect) में वृध्दि होती है । जिसके कारण तापमान में वृध्दि होती है तब – वर्षा में कमी , मृदा नमी में कमी , जल की अम्लता में वृध्दि , वर्फ का पिघलना आदि।
6- मीथेन (CH2)- मीथेन गैस भी वायुमण्डल के हरितगृह प्रभाव में 20% वृध्दि करती है । इनके दो स्रोत है ।
1-मानवीय स्रोत – धन के खेती , कोयला की खदाने एवं घरेलू पशु द्वारा वातावरण में उत्सर्जन करते है ।
2- प्राकृतिक स्रोत – आर्द्रभूमि एवं समुद्री जल से उत्सर्जन होते है । जिससे वातावरण के तापमान में वृध्दि हो जाती है । विश्व में सवसे अधिक मीथेन उत्सर्जन आर्द्रभूमि से होता है । जो कि हरित गृह प्रभावोत्पादक होता है ।
7- सीसा ( Lead)- औद्योगिक गतिविधियों से निकल कर वायुमण्डल में परिव्याप्त हो जाता है। सीसा वायुमण्डल में आक्सीजन से मिलकर लेड आक्साइड बनता है। जो साँस में मध्य से शरीर में पहुंचकर तंत्रिका तंत्र पर हानि पहुँचता है । जिससे मस्तिक , गुर्दा एवं पेशियों में लकवा जैसी बीमारिया उत्पन्न हो जाती है ।
2.1.2 – वायु प्रदूषण नियंत्रण के उपाय :-
वायु प्रदूषण मुख्य रूप से मानव जनित समस्या है । मानव की विकास प्रवृत्ति के कारण औद्योगिक एवं नगरीकरण में लगातार वृध्दि हो रही है । जिसमे ऊर्जा की खपत बढ़ती जा रही है । ऊर्जा की खपत बढ़ने से भूमंडल का जैविक – अजैविक तंत्र प्रभावित हो रहा है । जिससे विकास के पथ पर विनास का रास्ता देखने को मिल रहा है । आर्थिक प्रगति जारी रखनी है, तो ऊर्जा का उपयोग भी जारी रहेगा ,। वायु प्रदूषण नियंत्रण के निम्नलिखित उपाय है ।
(1 ) समाज के प्रत्येक वर्ग को वायु प्रदूषण के बारे में जागरूक करना है ।
(2) वायु प्रदूषण के स्तरों की सही जांच के व्यापक सर्वेक्षण एवं अध्ययन द्वारा किया जाना चाहिए।
(3) ऊर्जा के वैकल्पिक साधनो के प्रयोग को बढ़ावा बड़ा दिया जाय, जैसे – ज्वारीय ऊर्जा , सौरऊर्जा , पवन ऊर्जा एवं जलविद्युत आदि।
4- वाहनों पेट्रोल के स्थान पर संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG ) का प्रयोग किया जाय।
5- डीजल की गाड़ियों में अति सूक्ष्म मात्रिक सल्फर युक्त डीजल या हरित डीजल का प्रयोग किया जाय ।
अति सूक्ष्म मात्रिक सल्फर युक्त डीजल का मात्रा 0.005% तथा हरित डीजल की मात्र0.001 होती है ।
6- वायु प्रदूषण के लिये वाहनों में कैटलिक कनवर्टर एवं स्क्रबर आदि लगे होने चाहिए ।
7- ओजोन क्षय करने वाले क्लोरोफ्लुरोकार्बन ( CFC- फ़्रियन-11 व 12 ) के उपयोग में भरी कटौती होनी चाहिए ।
8- पार्थेनियम ( गाजर घास ) एवं कांग्रेस घास का विनाश करने का प्रयास करना है । जिससे चर्म एवं दमा रोग को रोका जा सके ।
9- फ़ैक्ट्रियो की चिमनियों में बैग फ़िल्टर लगा हो चाहिए । जिससे 50 माइक्रोमीटर से कम व्यास वाले कणिकीय पदार्थ पृथक किये जा सके ।
10- एक माइक्रोमीट छोटे पदार्थ को रोकने के लिये इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपिटेटर का प्रयोग किया जाता है ।
11- वायु प्रदूषण नियंत्रण कानून -1981 में बना है ।
पर्यावरण प्रदूषण से सम्बन्धित प्रश्न – उत्तर-
प्रश्न 1- एक माइक्रोमीटर से छोटे आकर वाले कणिकीय पदार्थो वायु में फैलने से रकने के क्या उपाय है ?
उत्तर – निम्न उपकरणों का प्रयोग करना -1-इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपिटेटर
2- हाई एनर्जी स्क्रबर
3 – फैब्रिक फ़िल्टर
प्रश्न 2- सीसा रहित पेट्रोल में उचित ऑक्टेन मान प्राप्त करने के लिए मिलाया जाता है ?
उत्तर – बेंजीन , टॉल्युन एवं जाइलिन ।
प्रश्न 3- बेंजीन के कारण कौन रोग होते है ?
उत्तर – रक्त कैंसर
प्रश्न 4- हरित डीजल किस यूरो मानक का डीजल है ?
उत्तर – यूरो -4
प्रश्न 5- अम्लीय वर्षा का p h मान है ?
उत्तर – 4.2 से कम
प्रश्न6 – वायु में सर्वाधिक प्रदूषण किससे होता है?
उत्तर – कार्बन मोनोआक्साइड
प्रश्न 7- सुपरसोनिक जेट विमानों से निकलने वाली कौन सी गैस ओजोन परत को पतली करती है ?
उत्तर – नाइट्रोजन आक्साइड
प्रश्न 8- दमघोटू गैस किसे कहते है ?
उत्तर – कार्बन मोनोआक्साइड
प्रश्न 9- भोपाल गैस त्रासदी 1984 में किस गैस का रिसाव हुआ था ?
उत्तर – मिथाइल आइसो साइनेट
प्रश्न 10- विश्व का सर्वाधिक प्रदूषित देश है ?
उत्तर -USA
प्रश्न 11- एयर क्वालिटी ईंडेक्स कितना होता है ?
उत्तर – 2.5 PM
प्रश्न 12- पार्टिकुलेट मैटर कितना माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर है ?
उत्तर -2.5 ( प्रदूषण तत्व पीएम )
3-निष्कर्ष –
आज आप ने जाना है कि पर्यावरण प्रदूषण क्या है ? और उनके प्रकार एवं वायु प्रदूषण की विस्तृत जानकारी के साथ – साथ विभिन्न परीक्षाओं में पूछे गये प्रश्नों को भी इस आर्टिकल में शामिल किया गया है । जो विभिन्न परीक्षाओं के लिये बहुत उपयोगी होगा। यदि यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो आप अपने दोस्तों एवं मित्रो शेयर और लाइक करे । जिससे अधिक से अधिक लोग लाभ ले सके ।
आपके भविष्य की उज्ज्वल कामनाये करते है । पर्यावरण प्रदूषण क्या है ? और उनके प्रकार एवं वायु प्रदूषण की जानकारी के साथ – साथ विभिन्न परीक्षाओं में पूछे गये प्रश्नों को शामिल किया गया है एवं
धन्यवाद
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