नमस्कार दोस्तों Absuccessstudy में आप सभी का स्वागत है । आज आप लोग भारत में भूमि सुधार के विषय में विस्तार जानेंगे । भारत कृषि प्रधान देश अधिकतर जनता खेती पर निर्भर रहती है । जहां भूमि सीमित है और भूमि का अभाव है, तथा अधिकतर ग्रामीण जनता गरीबी से नीचे रहती है । तब देश में आर्थिक एवं राजनैतिक दृष्टि भूमि सुधार आवश्यक हो जाता है । भारत में भूमि सुधार की प्रक्रिया स्वतंत्रता के बाद प्रारम्भ हुई है। जिसका उद्देश्य भूमि स्वामित्व के प्रतिरूप में परिवर्तन करना है । जिससे भूमि पर वास्तविक मलिकाना भूस्वामियों एवं किसानों को प्राप्त होता है । जिससे देश के गरीब जनता का जीवन में सुधार हो सके ।
-:Table of contents :-
1- भारत में भूमि सुधार
2- मध्यस्थ(Intermediary) का उन्मूलन
3- जमींदारी तन्त्र
4- महलवाड़ी व्यवस्था
5- रैयतवादी व्यवस्था
6- भूस्वामी सुधार
7- लगान पध्दति में सुधार
8- कृषि भूमि अधिकतम सीमा सुधार
9- भूमि रिकार्ड
10- भारत में भूमि सुधार का मूल्यांकन
11-निष्कर्ष
1- भारत में भूमि सुधार:-
अब हम भारत में भूमि सुधार के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे । भूमि सुधार का तात्पर्य है, कि अमीरों से भूमि लेकर गरीबों में वितरण को कहा जाता है । जिसमें भूमि स्वामित्व ,भूमि ऑपरेशन ,भूमि को पट्टे पर उठाना, भूमि की खरीदी – फरोख्त आदि सम्मिलित है ।भूमि सुधार सामाजिक समानता एवं सामजिक न्याय पर आधारित है । इसके द्वारा भूमि स्वामित्व में परिवर्तन करना है ।जिससे भूमि का सहिय मालिकाना मील जाय। इसलिये भूमि सुधार में निम्न उपाय सम्मिलित किये गये है ।
(1 ) मध्यस्थ का उन्मूलन करना
(2) काश्तकारी , अधिभोग , भूमि दखल में सुधार
(3) लगन विनियम करना तथा भूमि स्वामित्व में संशोधन
(4) जोत की इकाई की ऊपरी सीमा निर्धारित करना तथा अधिशेष भूमि को खेतिहर एवं सीमांत किसानों में बांटनाbhart
(5) खेतों की चकबंदी करना
(6) सहकारी फ़ार्म की स्थापना करना
(7) खसरा – खतौनी रिकार्ड तंत्र को सुदृढ़ बनाना
2- मध्यस्थ(Intermediary) का उन्मूलन
भारत में भूमि सुधार में मध्यस्थ का उन्मूलन के बारे में जानकारी दी गयी है भारत में ब्रिटिश राज्य के समय कृषि भूमि प्रबंधन के लिये जमींदारी , महलवाड़ी एवं रैयतवाड़ी प्रथा आरम्भ की थी । जिससे खेती करने वालों का शोषण किया जाता था । जमींदार वर्ग उनकी उगाई फसल का लाभ लेकर भोग -विलास करते थे । जिसके कारण किसानों की स्थिति ख़राब होती रही है । किन्तु स्वतंत्तता के बाद मध्यस्थ का उन्मूलन को प्राथमिकता दी गई थी ।
3- जमींदारी तन्त्र( स्थायी बंदोबस्त) :-
भारत में लार्ड कांर्नवलिस ने 1793 में जमींदारी तंत्र को प्रारम्भ किया था, जो सर्वप्रथम बंगाल प्रान्त में लागू किया गया । इसके अतिरिक्त बिहार , उड़ीसा , उत्तर प्रदेश, बनारस ,उत्तरी कर्नाटक आदि में लागू की गयी थी । इस तंत्र के अंतर्गत कृषि भूमि पर कुछ लोगों का अधिकार होता था जिसे जमींदार कहते थे । जमीदारो का काम भूमि की मालगुजारी एकत्र करके सरकारी खजाना में जमा करना था । जमींदार वर्ग एक परजीवी की तरह किसानों का शोषण करता था । लगन वसूलने के लिये किसानों पर बहुत जुल्म , अत्याचार ढाते थे और अपना भोग विलास करते थे ।
(1)स्थाई बस्तियाँ- लगन निश्चित था ।
(2) अस्थाई बस्तियाँ- लगन निश्चित नहीं था, जो प्रत्येक 20 से 40 वर्ष के बीच संशोधन की जाती थी ।
जमींदारी प्रथा उन्मूलन कानून – आजादी के बाद सन 1950 में जमींदारी उन्मूलन कानून , लागू करके जमींदारी प्रथा पूर्ण रूप से समाप्त कर दी गयी । बिहार एवं उत्तर प्रदेश में 1949 में जमींदारी प्रथा समाप्त हो गयी थी । भारत में प्रथम संविधान संशोधन द्वारा 1951 में जमींदारी उन्मूलन कानून लाया गया । जो 1954 में जमींदारी प्रथा समाप्त करने का कानून बना । जिसके द्वारा जमींदारी प्रथा का अंत हो गया ।
4- महलवाड़ी व्यवस्था:-
महलवाड़ी व्यवस्था के जन्मदाता हल्कट मैकेंजी को माना जाता है , जिन्होंने इसे 1819 में प्रस्तावित किया । इस नीति को लार्ड हेस्टिंग्स के शासन काल में 1833 में पारित किया गया । इस व्यवस्था में भूमि का स्वामित्व गांव के समुदायों के पास होता था । जिसमे कुछ शिक्षित एवं थोड़े पढ़े- लिखे लोगो को लंबरदार बना दिया जाता था । जिसका पूरा परिवार मिलकर मालगुजारी एकत्रित करके सरकारी खजाना में जमा करता है । यह व्यवस्था सर्वप्रथम आगरा – अवध तथा पंजाब में लागू की गयी थी ।
5- रैयतवादी व्यवस्था :-
रैयतवादी व्यवस्था सर्वप्रथम 1792 में मद्रास प्रान्त के बारमहल में लागू किया गया था । इस व्यवस्था को थाँमस मुनरो ने लागू किया था । बाद में यह प्रणाली बम्बई , बराड़ तथा मध्य भारत ( मध्य प्रदेश) लागू की गयी थी । रैयतवादी व्यवस्था संयुक्त परिवार की देन माना जाता है । प्रत्येक किसान अपनी कृषि भूमि की लगान सरकार को स्वयं चुकता था । जब तक किसान सरकार को लगान देता रहता है , तब तक उसे भूमि से बेदखल नहीं किया जाता था । किन्तु यदि मालगुजारी देना बंद करने पर भूमि सेबेदखल कर दिया जाता था । किसान अपनी भूमि को किसी भाग को शिकंमी देना या उप – किरायेदारी करने का अधिकार भी रखता था ।
6- भूस्वामी सुधार:-
जमींदारी व्यवस्था का अंत तथा रैयतवादी तंत्र के अंतर्गत कृषि भूमि , किसानो को पट्टे या किराये पर प्राप्त की जाती थी । जिसमे छोटे या सीमांत किसान कृषि भूमि जमीदारो से किराये या पट्टे होती थी । किराये या पट्टे पर भूमि लेने वाले किसानो को निम्न तीन प्रकार के होते थे ।
1- स्थाई काश्तकार- इनका अधिकार पीढ़ी दर पीढ़ी मिलते थे ।
2- अस्थाई काश्तकार – उनके संतान को अधिकार नहीं होते थे ।
3- शिकमी काश्तकार – कुछ स्थाई काश्तकारअपनी भूमि छोटे किसान को पट्टे या किराये पर देते थे ।
7- लगान पध्दति में सुधार :-
भारत में लगान पध्दति में सुधार करके1951 में कृषि भूमि के लगान का 50% निर्धारित थी । प्रथम एवं दूसरी पंचवर्षीय योजना में 20 से 25 % कर दिया गया था । किन्तु चौथी पंचवर्षीय योजना में कृषि भूमि लगान पूर्ण रूप से उन्मूलन किया गया था ।
8- कृषि भूमि अधिकतम सीमा सुधार :-
-भूमि सुधार के अंतर्गत प्रत्येक किसान की अधिकतम भूमि सीमा निर्धारित की गयी ।
-सीलिंग अधिनियम वर्ष 1972 में लागू किया गया ।
– प्रत्येक राज्य में सिंचित एवं बागवानी कृषि भूमि निर्धारित की गई।
-एक वर्ष में दो फसलों उगाने वाली सिंचित भूमि 4.05 हेक्टेयर से 7.28 हेक्टेयर ।
-घटिया में 21,58 हेक्टेयर कम ।
– बाग, बगीचा तथा नगदी फसलों पर लागू नहीं होता है ।
9- भूमि रिकार्ड:-
कृषि भूमि सुधार के लिये रिकार्ड आधुनिक तरीके से तैयार करना । तथा वैज्ञानिक पद्धतियों से कम्प्यूटर में रिकार्ड रखना एवं खतौनी तैयार करना भी शामिल है ।
10- भारत में भूमि सुधार का मूल्यांकन:-
भारत में भूमि सुधार की प्रक्रिया बहुत तेजी से प्रारम्भ की गयी थी लेकिन सांतोसजनक प्रगति नहीं हुई। जिसके निम्न कमी है –
1- विधि निर्माण की कमी
2- राजनैतिक इच्छा शक्ति की कमी
3- नौकरशाही रुकावटें
4- समन्वयन की कमी
5- भूमि कानून में सुधार विविधता
6- मुकदमेबाजी
7- भूमि रिकार्ड में कमी
8- क़ानूनी सरलता
11-निष्कर्ष-
आज आप ने जाना है कि भारत में भूमि सुधार एवं भारत में प्रचलित भूमि प्रथा का उन्मूलन कब किया गया है जिनका देश के किसानों के लिये बहुत महत्व है । इस विषय से विभिन्न परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते है । जिसका अध्ययन करके आप सभी सफलता प्राप्त कर सकते है । यदि यह आर्टिकल आप को अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों को शेयर करे । और कोई सुझाव देना हो तो कमेंट बॉक्स में लिखे ।
धन्यवाद
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