वायुमण्डली दाब किसे कहते है ?
वायु में भार होता है, जिससे धरातल पर उसका दबाव पड़ता है।इसी को वायुदाब कहते । धरातल एवं सागर तल पर पड़ने वाले दाब को वायुमण्डली दाब कहते है । वायुदाब को मापने की इकाई मिलिबर तथा पास्कल में है। समुद्र तल का वायुदाब 1013.25 मिलिबर होता है । सामान वायुदाब वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा को समदाब रेखा कहते है । वायुदाब एवं तापमान । में विपरीत सम्बन्ध होता है । तापमान अधिक तो दाब कम होता है । और तापमान कम यो दाब अधुक होता है । वायुदाब को मापने के लिए निर्द्रव बैरोमीटर का प्रयोग किया जाता है । बैरोमीटर को तेजी से गिरना वर्षा एवं तूफान का संकेत है ।
पवन संचार- विभिन्न स्थानों पर वायुदाब विन्न -विन्न होता है ।पवनें उच्च एटमोस्फियरिक प्रेशर क्षेत्रो से निम्न क्षेत्रो की तरफ चलती है । वायुभार को वितरण पर ऊचाई तापमान वायु प्रवाह आदि का प्रभाव होता है । वातावरण में पवन -संचार वेग एवं दिशा निम्न करणो से प्रभावित होता है ।
1- पृथ्वी की गुरुत्वकर्षण शक्ति – यह शक्ति सभी स्थानों पर समान होती है ।
2 -वायुदाब की प्रवणता -पवन अधिक वायुदाब से कम की ओर चलती है ।
3- विक्षेप बल -पवन की दिशा पर्यावरण बल की गति द्वारा निर्धारित होती है ।
4 -घर्षण बल -घर्षण बल हवा को अवरुध्द करता है ।
वायुदाब का क्षैतिज वितरण :-
विश्व में एटमोस्फियरिक प्रेशर के वितरण में भारी अन्तर है ।उत्पत्ति केआधार पर वातावरण दाब दो भाग में है ।
-विषुवत रेखीय निम्न वायुदाब की पेटी
-उपोष्ण उच्च दाब पेटियां
-उपध्रुवीय निम्न दाब पेटियां
-ध्रुवीय उच्च दाब पेटियां
विषुवत रेखीय निम्न वायुदाब की पेटी- यह पेटी विषुवत रेखा के दोनोंओर 10°c में फैली हुई है । इस पेटी को डोलड्रम कहते है । मौसम के अनुसार यह पेटी उत्तर एवं दक्षिण की ओर खिसकती है । भूमध्य रेखा पर सूर्य की किरणे वर्ष भर लंबवत होती है। तथा वर्ष भर दिन रात बराबर होते है । इस कटिबंध में प्रतिदिन वर्षा होती रहती है ।
उपोष्ण उच्च दाब पेटियां- यह दोनों गोलार्ध में 23.5°c से 35 °c तक है । इस पेटी में शीतकाल दो माह छोड़कर वर्ष भर उच्च तापमान रहता है । यहां आयतन कम होने का करण वातावरण दाब अधिक होता है । इन अक्षशो को अश्व अक्षांश भी कहते है ।
उपध्रुवीय निम्न दाब पेटियां- यह पेटी दोनों गोलार्ध में 60°c से 65 °c तक है । उत्तरी गोलार्ध में कम वातावरण दाब अलूशियन एवं ग्रीनलैंड में है ।
ध्रुवीय उच्च दाब पेटियां – 80°c उत्तरी एवं दक्षिण अक्षांश से उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव तक है ।
– इस पेटी को ध्रुवीय उच्च दाब पेटिया कहते है ।
-यह उच्च वायुदाब निम्न तयजन्य होता है ।
वायुदाब की पेटियों का खिसकना :-
पृथ्वी की वार्षिक गति के कारण सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता रहता है । 21 जून को सूर्य कर्क रेखा के लंबवत होता है , जिसके कारण एटमोस्फियरिक प्रेशर की पेटिया उत्तर दिशा में खिसक जाती है । 21 जून के पश्चात 23 सितंबर को सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर लंबवत्त पड़ती है , जिसके कारण वायु पेटिया यथावत स्थिति में आ जाती है ।
23 दिसंबर को सूर्य की किरणें मकर रेखा पर लंबवत पड़ती है । ऐसी प्रकार शीत ऋतू में पेटिया दक्षिण की ओर खिसक जाती है । पेटियों के खिसकने से मौसम तथा जलवायु में भरी परिवर्तन होता है ।
वायुदाब का मौसमी वितरण:-
-जुलाई के महीने में मध्य एशिया तथा उत्तरी अटलांटिक महासागर में उच्च वायुदाब रहता है ।
-जनवरी में उत्तरी गोलार्ध के साइबेरिया तथा उत्तरी अमेरिका में वायुदाब अधिक होता है ।
जुलाई पैटर्न –
जुलाई के महीने में उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म की अवधि होती है ।जिसके कारण मध्य एशिया ,साइबेरिया,
भारत के उत्तरी मैदान तथा अमेरिका में निम्न वायु दाब होता है । इस महीने में दोनों गोलार्ध में सगरो
के ऊपर उच्च वायुदाब विकसित होता है ।
जनवरी पैटर्न – जनवरी के महीनो में विषवत रेखीये पर निम्न दबाव पाए जाते है । इस हीने
में साइबेरिया एवं कनाडा में उच्च दबाव होता है । तथा आलेयूशियन द्वीप समूहों एवं आइलैंड में निम्न
दबाव पाया जाता है । दक्षिणी गोलार्ध के उच्चतर अक्षशो में उच्च दबाव दर्ज किया जाता है ।
निष्कर्ष:-
वायुमण्डली दाब किसे कहते है ? वायुदाब का क्षैतिज वितरण ,पेटियों का खिसकना ,जुलाई पैटर्न एवं जनवरी पैटर्न के अध्ययन से ज्ञात हुआ , कि धरातल की सभी मौसमी घटनाएँ , तापमान , दाब एवं जलवायु परिवर्तन की जानकारी प्राप्त होती है ।
Permalink: https://absuccessstudy.com/वायुमण्डली-दाब-किसे-कहते/
https://simple.wikipedia.org/wiki/Atmospheric_pressure
0 Comments